वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका स्थित एक प्रतिष्ठित हिंदू संगठन ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो और भारतीय मूल के नेता जगमीत सिंह से ‘स्वास्तिक’ की तुलना नाजी प्रतीक ‘हकेनक्रेज’ से नहीं करने का आग्रह किया है।

कनाडा में इन दिनों कोविड-19 टीकाकरण और वैश्विक महामारी संबंधी पाबंदियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ट्रक चालकों की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने कनाडा की राजधानी ओटावा में ट्रकों के साथ जाम लगा दिया है और कई जगह कनाडा से अमेरिका जाने वाला मार्ग बाधित कर दिया है। इस स्थिति से निपटने के लिए कनाडा को आपातकाल के कानून को लागू करना पड़ा है।

जगमीत सिंह ने दो फरवरी को एक ट्वीट किया था कि स्वास्तिक का ‘‘कनाडा में कोई स्थान नहीं है।’’

उन्होंने लिखा था, ‘‘हमारे ऊपर अपने सभी समुदायों के लोगों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। यह समय कनाडा में नफरत के प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाने का समय है। साथ ही हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि समाज में नफरत पैदा न हो।’’

ट्रुडो और जगमीत सिंह दोनों ने हाल के दिनों में प्रदर्शनकारियों पर ‘‘स्वस्तिक लहराने’’ का आरोप लगाते हुए बयान दिए थे।

‘हिंदूपैक्ट’ नामक संगठन ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

‘हिंदूपैक्ट’ ने ट्रुडो और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह से आग्रह किया कि वे ‘‘स्वास्तिक’’ की तुलना नाजी प्रतीक ‘‘हकेनक्रेज’’ से न करें। स्वास्तिक हिंदुओं, बौद्ध अनुयायियों, सिखों और दुनिया भर के कई अन्य समुदायों के लिए एक प्राचीन और शुभ प्रतीक माना जाता है।

‘हिंदूपैक्ट’ के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इस गलत बयानबाजी से हिंदुओं और सिखों के खिलाफ नफरत की भावना पैदा होगी। पिछले एक महीने में ही कनाडा में छह हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई और लूटपाट की गई।’’

हिंदू संगठन ने ट्रुडो से शांतिपूर्ण रूप से विरोध प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह किया है।

चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘कनाडा में विरोध प्रदर्शनों और उन्हें दबाने के लिए अपनाए जा रहे कठोर तौर-तरीकों एवं कदमों के बारे में आ रही खबरों को लेकर मुझे खेद है। वहां स्थिति बेहद चिंताजनक है और हम सभी अपने परिवारों और दोस्तों के लिए बहुत चिंतित हैं।’’

हिंदू संगठन ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार किसी भी लोकतंत्र में मौलिक अधिकार है। कनाडा में असंतोष की आवाज को दबाने के लिए एक आपातकालीन आदेश की घोषणा एक दुखद उदाहरण है।

 

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