आग, तेल या अन्य किसी अन्य तरल पदार्थ से स्किन जलने पर असहनीय दर्द होता है। जलने के कई कारण जैसे तेज़ धूप, आग से जलना, भाप या कोई गर्म तरल पदार्थ, बिजली या रसायनिक पदार्थ आदि हो सकते हैं। तेज जलन और दर्द के कारण घबराहट होने लगती है, कम जानकारी के अभाव में तत्काल रूप से बरती जाने वाली सावधानियां और आवश्यक उपचार नहीं कर पाते। ऐसे में   आपको बता रहा है कि यदि आप कभी जल जाएं तो क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

जलने के कई कारण जैसे गर्म तेल, गर्म पानी, किसी रसायन, गर्म बरतन पकड़ने से या दिवाली के पटाखे के बारूद से भी कोई व्यक्ति जल सकता है। इसके अलावा खाना पकाते समय महिलाएं अक्सर जल जाती हैं। जिसमें गर्म दूध या गर्म तेल से जलना मुख्य होता हैं। वहीं बच्चे अक्सर खेल-कूद या शैतानी करते समय आग या फिर अन्य किसी गर्म चीज की चपेट में आकर जल जाते हैं। मामूली रूप से जलने के घाव तो समय के साथ भर जाते हैं, लेकिन गंभीर रूप से जलने पर संक्रमण को रोकने और घावों को भरने के लिए विशेष देखभाल जरूरी होती है।

कैसी होती है हमारी स्किन?

त्वचा क्रमशः एपिडर्मिस, डर्मिस तथा हाइपोडर्मिस तीन सतहों में बनी होती है। एपिडर्मिस त्वचा की सबसे बाहरी परत (कवर) होती है। जो मौसम के असर से बचाने वाली परत का काम करती है।

डर्मिस, एपिडर्मिस के नीचे वाली त्वचा परत होती है और किसी तनाव से शरीर की एक कुशन की तरह रक्षा करती है।

हाइपोडर्मिस, डर्मिस के नीचे वाली परत होती है जो मांसपेशियों के ऊतकों, हड्डी और त्वचा को जोड़ने का काम करती है।

तीन प्रकार का होता है जलना

फर्स्ट डिग्री बर्न

त्वचा हल्के से लेकर बहुत गंभीर प्रकार से जल सकती है। जब शरीर का कोई पार्ट कम जलता है तो इसे फर्स्ट डिग्री बर्न (प्रथम श्रेणी का जलना) कहते हैं। फर्स्ट डिग्री बर्न में चिकित्सीय उपचार की तब तक कोई खास जरूरत नहीं होती जब तक कि जलने का असर ऊतकों पर न पड़ा हो।

सेकेंड डिग्री बर्न

सेकेंड डिग्री बर्न में चिकित्सक के पास ले जाना जरूरी होता है। फर्स्ट डिग्री में सिर्फ एपिडर्मिस (त्वचा की सबसे ऊपरी परत) ही प्रभावित होती है। लेकिन इसमें घाव में दर्द होता है और जले हुए भाग में सूजन और लालिमा आ जाती है। अगर घाव तीन इंच से बड़ा हो या त्वचा की अंदरूनी परत तक हो तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श करना चाहिए।

इस प्रकार के घाव को ठीक होने में तीन दिन से लेकर एक हफ्ते तक का समय लग जाता है। जब थोड़ा ज्यादा जल जाता है तो त्वचा की बाहरी परत एपिडर्मिस और अंदरूनी परत डर्मिस दोनों क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इससे जले हुई जगह पर दर्द, लालिमा, सूजन और फफोले हो जाते हैं। अगर घाव जोड़ों पर हुआ है तो उस हिस्से को हिलाने-डुलाने में तकलीफ होती है, साथ ही शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। जलने की ऐसी स्थिति को सेकेंड डिग्री बर्न कहते हैं।

थर्ड डिग्री बर्न

थर्ड डिग्री बर्न में भी डॉक्टर के ले जाना जरूरी होता है। इसमें त्वचा की तीनों परत पर जलने का असर होता है। इससे त्वचा सफेद या काली पड़ जाती है और सुन्न पड़ जाती है। जले हुए स्थान के हेयर फॉलिकल, स्वेट ग्लैंड और तंत्रिकाओं के सिरे नष्ट हो जाते हैं।

तंत्रिकाओं के नष्ट होने से दर्द, फफोले और सूजन की तो शिकायत नहीं होती। इससे रक्‍त संचरण बाधित हो जाता है। यदि व्यक्ति 80 से 90 फीसदी जल जाता है तो मनुष्‍य के जीवित बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है।

जलने पर क्या करें?

जले हुए स्थान को साफ और ठंडे पानी से धीरे-धीरे धोएं।

जले हुए अंग पर नल से धीरे- धीरे पानी गिरने दें।

सिल्वरेक्स या बरनोल का लेप लगाएं।

प्राथमिक उपचार के तौर पर जले हुए अंग पर सोफ़रामाइसिन भी लगा सकते हैं।

मरीज़ को जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाएं।

चिकित्सक की सलाह के मुताबिक दवाओं का सेवन करें।

अगर आपके पास एलोवेरा जेल या एंटीबायोटिक क्रीम है तो उसे जले हुए भाग पर लगा सकते हैं।

एलोवेरा घाव भरने के साथ ही त्वचा को ठंडक भी देता है।

घाव के ऊपर ढीली पट्टी या न चिपकने वाली पट्टी बांध लें और हवा से रखें ताकि दर्द कम हो।

जख्म के थोड़ा सूखने पर सूखी पट्टी को ढीला करके बांधें, ताकि गंदगी और संक्रमण न फैले।

सांस नहीं चल रही हो तो सीपीआर (सीने पर पंप करना) दें।

जलने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका ज्‍यादा होती है। इसलिए टिटनेस का इंजेक्शन लगावाएं।

आप जिस स्थान पर हैं यदि वहां आग लग गई है तो फर्श पर लेट जाएं और धुंए की परत से नीचे रहने की कोशिश करें।

अगर आग पूरे स्थान पर फैल रही है तो घबराएं नहीं, खुद पर काबू रखें और बाहर निकलने की कोशिश करें।

जलने पर किए जाने वाले घरेलू उपचार

जले हुए स्थान पर आलू पीसकर लेप लगाएं, इससे जले हुए स्थान पर शीतलता का अनुभव होगा।

तुलसी के पत्तों का रस जले हुए हिस्से पर लगाएं, इससे जले हुए भाग पर दाग होने की संभावना कम होती है।

तिल को पीसकर लेप बनाइये और इसे लगाये। इससे जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले भाग पर पड़े दाग-धब्बे भी चले जाते हैं।

गाय के घी का लेप करें या पीतल की थाली में सरसों का तेल व पानी को नीम की छाल के साथ मिलाकर मरहम बनाएं और जले हुए स्थान पर लगाएं।

गाजर पीसकर लगाने से जले हुए हिस्से में आराम मिलता है।

जलने पर नारियल का तेल लगाएं। इससे जलन कम होगी और आराम मिलेगा।

 

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