कान शरीर का बहुत ही नाजुक अंग है। इसकी परेशानियों, तकलीफों और रोगों पर शीघ्र ही ध्यान देकर इलाज शुरू कर देना चाहिए। अगर देर हुई तो इसके उपचार के बहुत कम रास्ते रह जाते हैं और ऐसी स्थिति मे व्यक्ति स्थायी रूप से बहरा भी हो सकता है।

कान के दर्द- खासकर बच्चों के कान में दर्द होना एक आम समस्या है। आमतौर पर मध्य कान यानी परदे में सूजन के कारण ऐसा होता है। वैसे तो अलग-अलग कारणों से हुए दर्द के लिए अलग-अलग उपचार किया जाता है। लेकिन आम तौर पर सिकाई से भी सभी तरह के दर्द में राहत मिलती है। सामान्य मामलों में गेंदा के पत्तों का रस निकालकर हल्का सा गर्म कर कान में डालिए। इससे दर्द में बहुत फायदा होता है। ऐसा ही फायदा भांग के पत्ते के गुनगुने रस से भी होता है। सरसों के तेल को गुनगुना करके, कुछ बूंदें कान मे डालने से भी दर्द में लाभ होता है।

अगर दर्द ज्यादा है तो समुद्री कौडिय़ों को जलाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को नींबू के रस में मिलाकर कान में डालें। डालने के बाद सिर एक ओर झुका कर रखें, ताकि दवा अंदर तक चली जाए। रूई से कान बंद कर दीजिये।

कई बार कानों में फोड़े-फुंसी की वजह से भी दर्द होने लगता है। इस तरह के दर्द में यह दवा लाभकारी है। तीन-तीन ग्राम लहसुन और अजवाइन को 40 ग्राम तिल के तेल में लाल होने तक उबालें। छानकर इसकी कुछ बूंदें कान में डालें। तुलसी के पत्तों का रस भी कान दर्द में फायदेमंद दवा है।

कान बहना- कान बहने का मुख्य कारण है कान में एक्जीमा, फोड़ा या मैल जमने के कारण खुजली या फिर कीड़ा वगैरह का काट लेना। पर कई मामलों में मध्य कान के परदे में छेद हो जाने के कारण वहां से मवाद निकलने लगता है। अगर इसका उपचार शीघ्र ही न किया गया तो व्यक्ति बहरा भी हो सकता है। इसके उपचार के लिए यह दवा बनाएं।

एक ग्राम हल्दी और 20 ग्राम फिटकरी को एक साथ पीस लें। इस पाउडर को किसी शीशी में रख लें। सिरिंज से कानों की सफाई करके, एक चुटकी पाउडर डालें। कुछ दिनों तक लगातार करने से मवाद आना बंद हो जाएगा। 10 ग्राम रतनजोत को 100 ग्राम सरसों तेल में जला दें। फिर तेल को छानकर कुछ बूंदें कान में डालें। कान दर्द और कान बहने में यह प्रभावी उपचार है।

 

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