गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु का वजन पता होना जरूरी होता है। मां और बच्‍चा सही है या नहीं, यह जानने के लिए महिला को गर्भावस्था के दौरान कई टेस्‍ट और स्कैन से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें बच्चे का साइज देखना भी शामिल होता है।

ये टेस्ट बच्चे के स्वास्थ्य और सलामती जांचने के लिए किए जाते हैं। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान बच्चे का वजन अन्य बच्चों के तुलना में सामान्य से अधिक हो जाता है, इसे ही “लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज” कहा जाता है। चलिए जानते हैं इसके लक्षण, कारण और उपचार के बारे में।

​लार्ज जेस्टेशनल एज क्या है?

LGA या लार्ज जेस्टेशनल एज बेबीज मेडिकल टर्म है, जिसे उन बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनका बर्थ वेट उनकी जेस्टेशनल एज के अनुसार सामान्य से अधिक होता है।

जन्म के पहले लार्ज जेस्टेशनल एज बेबीज के लिए फीटल मैक्रोसोमिया मेडिकल टर्म यूज किया जाता है। बच्चे के जन्म के समय उनका औसत वजन 3 किलोग्राम होता है, और तकरीबन 9 प्रतिशत बच्चे 3.5 किलोग्राम से अधिक वजन के होते हैं।

4.5 किलोग्राम से अधिक वजन ना के बराबर बच्चों में ही पाए जा सकते हैं। अधिकतर लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज 37 से 41 हफ्ते के बीच में जन्म लेते हैं, लेकिन दुर्लभ मामले में प्रीमेच्योर मतलब समय से पहले जन्मे बच्चे भी LGA हो सकते हैं।

​लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज से संबंधित जरूरी बातें

लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज के मामले में नॉर्मल डिलीवरी होना बहुत ही मुश्किल होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को डायबिटीज हो तो ये LGA का मुख्य कारण हो सकता है।

अगर सोनोग्राफी के दौरान बच्चे का जेस्टेशनल वजन डॉक्टर को ज्यादा लगता है, तो वे समय से पहले डिलीवरी कराने की सलाह दे सकते हैं। बच्चे के हेल्थ चेक अप के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से मिलते रहना चाहिए।

डिलीवरी के समय जोखिम

LGA के मामले में नॉर्मल डिलीवरी होना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। डिलीवरी में सामान्य से अधिक समय लग सकता है। ब्रोकन कॉलर बोन या नर्व डैमेज की समस्या भी हो सकती है।

सी-सेक्शन डिलीवरी होना, मां को सांस संबंधी परेशानी होना, जन्म के समय शुगर लेवल लो होना जैसी अनेक समस्याओं का जोखिम बना रहता है।

​बच्चे के LGA होने के क्या कारण हैं

बच्चे के गर्भ में सामान्य से अधिक बड़े होने के कई कारण हो सकते हैं। उनमें से सबसे मुख्य कारण है मां को डायबिटीज होना। शुगर हाई लेवल पर चला जाए तो ये शुगर, गर्भ में पल रहे शिशु तक जाता है जिसकी वजह से बच्चे के शरीर में इंसुलिन बनने लगता है और यही एक्स्ट्रा शुगर और इंसुलिन बच्चे के ग्रोथ को दुगुना कर देते हैं।

दूसरा सबसे मुख्य कारण होता है; जेनेटिक, मतलब मां या पिता का वजन अधिक होना। कई बार प्रेगनेंसी के दौरान महिला का वजन बहुत ज्यादा हो जाता है, जिसका प्रभाव भी बच्चे के वजन पर भी देखा जाता है।

​लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज के लक्षण

प्रेगनेंसी के दौरान LGA की पहचान कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है। फिर भी सामान्य से ज्यादा एम्नियोटिक फ्लूइड हो तो इससे पता लगता है कि बच्चा बड़ा है।

जन्म के बाद बच्चे का वजन 4000 ग्राम या 9 पाउंड से ज्यादा हो, और बच्चे की हाइट सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक हो तो ऐसे बच्चे लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज कहलाते हैं।

​LGA का उपचार

लार्ज फॉर जेस्टेशनल एज बेबीज का उपचार जब वे गर्भ में होते हैं तभी होता है। बहुत से ऐसे तरीके हैं जिनसे पता लगाया जाता है कि बेबी लार्ज है या फिर सामान्य रूप से गर्भ में बड़ा हो रहा है। जैसे – प्रसव पूर्व जांच, सोनोग्राफी, मां का वजन अधिक बढ़ना। इसका पता लगने के बाद ही डॉक्टर कुछ दवाइयों में बदलाव करके इसका इलाज शुरू करते हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान सही खानपान और सही देखभाल से बच्चे की ग्रोथ को सही रखने में काफी हद तक मदद मिलती है। बच्चे के संपूर्ण विकास और अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से बात जरूर करें।

 

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