मां और बेटी, मां-बेटे और पिता-बेटी के रिश्ते के बारे तो सभी बात करते हैं लेकिन एक पिता और बेटे के बीच के संबंध के बारे में कम ही बात की जाती है। पिता और बच्चे के बीच जो रिश्ता होता है, वो हर बच्चे के लिए बहुत खास होता है।
हर बच्चा अपनी जिंदगी में अपने पिता से काफी कुछ सीखता है। आमतौर पर मां बेटे को सलाह देती हैं लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो सिर्फ पिता और बेटे के बीच ही होनी चाहिए। पिता को अपने बेटे को कुछ पाठ पढ़ाने होते हैं और उसे एक सही और ईमानदार इंसान बनाना होता है।
पिता को बनाते हैं रोल मॉडल
हर बेटा अपने पिता को देखकर सीखता है और उनकी तरह बनना चाहता है और उनकी हर अच्छी-बुरी आदत को अपनाना चाहता है। इससे पिता के ऊपर अपने बच्चे को अच्छी सीख देने और आगे चलकर जिंदगी के प्रति पॉजिटिव सोच डालने की जिम्मेदारी बढ़ जती है।
महिलाओं के प्रति नजरिया
पिता को अपने बेटे को हर किसी का खासतौर पर महिलाओं का सम्मान करना सिखाना चाहिए। जब बेटा बड़ा होगा तो अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुश रहने के लिए जरूरी है कि वो अपनी पत्नी के सम्मान दे। अगर आज वो अपनी मां, बहन और दोस्त का सम्मान करेगा, तो आगे चलकर अपनी पत्नी और बेटी को भी सम्मान दे पाएगा।
आप जिस तरह से अपनी पत्नी और अन्य महिलाओं के साथ बर्ताव करते हैं, वही आपका बच्चा भी सीखता है।
अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी खुद लें
अगर आपको कोई चीज पसंद नहीं आ रही है, तो आपको उस स्थिति का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लेना चाहिए। अमूमन हम सभी इस सलाह को फॉलो करते हैं। इस तरह की बातें हम या कोई भी खुद नहीं सीखता है।
जिंदगी का ये पाठ हमारे पिता पढ़ाते हैं। यह बहुत आसान सी सीख है कि हर बच्चे को सीखना चाहिए और जिंदगी के हर पड़ाव पर कुछ न कुछ सीखते रहें।
खुद के लिए खड़े हों
जिंदगी आसान नहीं है और इसमें कई तरह की मुश्किलें आती हैं इसलिए आप अपने बच्चे को खुद अपने लिए खड़ा होना सिखाएं। बच्चे यह पाठ अपने पिता से सीखते हैं।
अगर कोई बच्चे को परेशान करता है या छेड़ता तो इस स्थिति में उसे डरने की बजाय खुद अपने लिए आवाज उठाना सीखना चाहिए। पिता ही बच्चों के यह सीख दे सकते हैं।
कहते हैं कि परिवार में पिता एक सुरक्षा कवच के रूप में होते हैं लेकिन वही आपको खुद को सुरक्षित रखना भी सिखाते हैं।
अपनी फीलिंग्स को समझना
लड़कों को हमेशा यही सिखाया जाता है कि आपके सामने चाहे कितनी भी तकलीफदेह परिस्थिति पैदा हो जाए, आपको रोना नहीं है और न ही खुद को कमजोर दिखाना है। पिता ही बेटों को सिखाते हैं कि इमोशंस के साथ कैसे डील करना है और खुद का कैसे ख्याल रखना है।
अपनी देखभाल करना और अपने इमोशंस को नजरअंदाज न करना, ये एक ऐसा काम है जो हर किसी को सीखना चाहिए। पिता अपने बच्चों को खुद की देखभाल करना सिखाते हैं।