आचार्य चाणक्य की गिनती श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। वह महान अर्थशास्त्री और शिक्षाविद थे। आचार्य चाणक्य कुशाग्र बुद्धि के धनी थे। आचार्य चाणक्य को जीवन से जुड़े हर पहलु की गहराई से समझ थी। यही कारण है कि चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन को सरल बनाने वाली नीतियों का वर्णन किया है। चाणक्य की ये नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। चाणक्य ने एक नीति में स्त्री और पुरुष के कुछ गुणों का वर्णन किया है। चाणक्य कहते हैं कि इन गुणों या शक्तियों का सही इस्तेमाल कर कार्यों को सिद्ध किया जा सकता है। जानिए आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में ब्राह्मण, स्त्री और राजा की क्या सबसे बड़ी ताकत बताई है।
बाहुवीर्यबलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविद् बली।
रूप-यौवन-माधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।।
चाणक्य कहते हैं कि ब्राह्मण की शक्ति उसका ज्ञान है। ब्राह्मण अपने ज्ञान के कारण ही समाज में मान-सम्मान पाता है। चाणक्य कहते हैं कि जिस ब्राह्मण को जितना अधिक ज्ञान होता है, उसे समाज में उतना ही ज्यादा मान-सम्मान हासिल होता है। चाणक्य कहते हैं कि ब्राह्मण के अलावा हर व्यक्ति की ताकत उसका ज्ञान ही होता है। विपरीत परिस्थितियों में जब सब साथ छोड़ देते हैं तो ज्ञान ही उस संकट से बाहर निकलने में मदद करता है।
चाणक्य आगे कहते हैं कि स्त्रियों के लिए उनका सौंदर्य और यौवन ही सबसे बड़ी ताकत होतती है। इसके अलावा स्त्री की मधुर वाणी भी उसका सबसे बड़ी ताकत होता है। नीति शास्त्र के अनुसार, सुंदरता कुछ समय बाद धूमिल पड़ जाती है लेकिन मधुर वाणी वाली स्त्री को हर जगह मान-सम्मान मिलता है। ऐसी स्त्री कुल का मान बढ़ाती है।
नीति शास्त्र के अनुसार, किसी भी राजा की सबसे बड़ी ताकत उसका खुद का बाहुबल होता है। चाणक्य कहते हैं कि अगर राजा कमजोर हो तो वह प्रजा का हित नहीं कर सकता है। क्योंकि उसे खुद दूसरे पर निर्भर रहना पड़ेगा।