घर हो या ऑफिस उसके निर्माण में वास्तु शास्त्र का अत्यधिक महत्व होता है। घर में हर एक चीज का निर्माण करने के सही स्थान और दिशा के साथ वास्तु के सभी नियमों को ध्यान में रखना अति आवश्यक होता है। वास्तु को ध्यान में रखकर बनाया गया भवन व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लेकर आता है। तो वहीं वास्तु के नियमों की अनदेखी आपके जीवन में समस्याओं को बढ़ा सकती है। घर निर्माण के समय सबसे पहला कार्य नींव की खुदाई का किया जाता है। नींव पर ही पूरा घर टिका होता है, इसलिए नींव की खुदाई करवाने से लेकर उसे भरवाने और पूजन करवाने से संबंधित बातों को ध्यान में रखना अत्यंत जरूरी होता है। तो चलिए जानते है कि नींव भरवाते समय किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।

घर की नींव भरवाने के लिए यह माह और समय रहता है शुभ

हिंदू चंद्रमास के अनुसार वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीष और फाल्गुन आदि माह में ही घर का कार्य आरंभ करवाना शुभ रहता है। अन्य महीनों में घर बनवाने की शुरूआत करने से बचना चाहिए। नींव पूजन और भवन निर्माण के समय ध्रुव तारे का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। संध्या काल और मध्य रात्रि के समय कभी भी घर की नींव नहीं रखनी चाहिए। इसके अलावा घर की नींव में ईंट, पत्थर और लकड़ी इत्यादि जो भी सामान लगाना हो वह नया उपयोग करना चाहिए।

इस दिशा से करें नींव खुदाई का आरंभ

घर की नींव की खुदाई का आरंभ सबसे पहले ईशान कोण से करें और इसके बाद आग्नेय कोण की खुदाई आरंभ करें। इसे बाद वायव्य कोण तत्पश्चात नैऋत्य कोण की खुदाई करें। इस तरह से खुदाई करवाने के बाद पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण दिशा की क्रमवार तरीके से खुदाई करें।

इस दिशा से करें नींव की भराई

सर्वप्रथम नेऋत्य कोण नींव की भराई प्रारंभ करें। उसके बाद क्रमानुसार से वायव्य, आग्नेय, ईशान की भराई करें। दिशाओं में सर्वप्रथम दक्षिण, पश्चिम ,उत्तर व पूर्व में क्रमपूर्वक नींव भराई का कार्य करें।

घर की नींव रखने से पहले इन नियमों का रखें ध्यान

 

घर की नींव रखते समय और पूजन के लिए रवि पुष्य योग या फिर उचित शुभ मुहूर्त और दिन को ध्यान में रखना चाहिए।

नींव में एक चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा अवश्य रखवाना चाहिए। मान्यता है कि पृथ्वीलोक के नीचे पाताल लोक है जिसके स्वामी नाग हैं, इसलिए नींव पूजन में चांदी के नाग-नागिन रखवाएं जाती हैं।

नींव पूजन करवाते समय दूध, दही और घी का उपयोग अवश्य करना चाहिए।

यदि भूमि की खुदाई करते समय राख, कोयला, हड्डी और भूसा जैसी चीजें निकलती हैं तो ऐसे स्थान पर घर बनवाना कष्टप्रद होता है। ऐसी भूमि पर बने हुए घर में रहने वाले लोग रोगों से घिरे रहते हैं। ऐसी जमीन पर घर बनवाने से बचना चाहिए। यदि संभव न हो तो किसी योग्य ज्योतिष, पुरोहित आदि से अनुष्ठान और उपाय करवाने के बाद ही नींव भरवानी चाहिए।

यदि आपके घर की में कोई महिला गर्भावती है और गर्भावस्था का आखिरी चरण चल रहा तो तो ऐसे में नींव की खुदाई कुछ समय के लिए टाल देनी चाहिए। इसी तरह से यदि कोई सदस्य गंभीर रूप से बीमार हो तो भी नींव की खुदाई प्रारंभ नहीं करनी चाहिए।

 

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