भोपाल, एजेंसी। मध्यप्रदेश के दो लोगों को घर बैठे फास्टैग से चपत लगने के मामले सामने आए हैें। दोनों मामलों में कार उस लोकेशन पर नहीं थी, जिस टोल नाके पर टैक्स काटा गया। एक मामले में 175 किलोमीटर दूर तो दूसरे में 295 किलोमीटर दूर स्थित टोल नाके पर टैक्स काटा लिया गया। जबकि दोनों वाहन संबंधित हाईवे से गुजरे तक नहीं थे।
छिंदवाड़ा के कारोबारी अंबेश बलवापुरी की कार उनके घर के बाहर खड़ी थी, लेकिन करीब 295 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के केलापुर टोल प्लाजा पर उनके फास्टैग खाते से राशि कट गई। वह अपनी कार एमपी48सी8777 से तीन जुलाई को छिंदवाड़ा गए थे। इस दौरान मिलानपुर और चिखली टोल प्लाजा उन्होंने पार किया। इन दोनों टोल प्लाजा पर उनके फास्टैग खाते से टैक्स कटने का मैसेज आया। चार जुलाई को अपनी कार सहित छिंदवाड़ा में ही थे। तभी रात 8:32 बजे उनके फोन पर एक मैसेज आया। इसमें केलापुर टोल प्लाजा पर फास्टैग खाते से 90 रुपये टैक्स कटने की सूचना थी। केलापुर टोल प्लाजा महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में नागपुर-हैदराबाद-बेंगलुरू-कन्याकुमारी नेशनल हाईवे नंबर 44 पर स्थित है।
मैसेज पढ़ते ही अंबेश हैरान हो गए, क्योंकि उनकी कार तीन जुलाई के बाद से छिंदवाड़ा से बाहर निकली ही नहीं थी। उन्हें समझ आ गया कि उनकी कार के नंबर से किसी ने छेड़छाड़ कर के यह धोखाधड़ी की है। इस पर उन्होंने तत्काल ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से मामले की शिकायत की और कार्रवाई करने की मांग की है। देशभर के टोल नाके एनएचएआई के अधीन ही आते हैं।
बैतूल के सराफा कारोबारी भी हुए शिकार
दूसरा मामला मप्र के ही बैतूल के सराफा कारोबारी ऋषभ गोठी के साथ हुआ। उनकी कार एमपी 48 बीसी 9911 का टोल टैक्स गत गुरुवार को फास्टैग से इसी तरह कट गया। टैक्स कटने का मैसेज आते ही उन्होंने सबसे पहले अपनी कार देखी तो घर के बाहर ही खड़ी थी, जबकि टोल टैक्स फास्टैग के जरिए 175 किमी दूर महाराष्ट्र के पाटन सांवगी नाके पर कट गया है। 90 रुपये कटने का मैसेज देख वे हैरान रह गए। उन्होंने भी तत्काल इसकी शिकायत एनएचएआई में दर्ज कराई।
इस तरह हो सकती है ये वारदातें
जानकारों का कहना है कि शातिर अपराधी ने कारों या अन्य वाहनों की नंबर की प्लेटें लगाकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। फर्जी नंबर प्लेट लगाने के बाद वे संबंधित फास्टैग खाते से उसे चालाकी से लिंक कर सकते हैं। इस तरह की घटनाएं दो एक ही नंबर पर दो फास्टैग जारी होने से भी हो सकती है। नाके पर मैनुअल तरीके से एंट्री के कारण अंकों में गड़बड़ कर के भी राशि काटी जा सकती है।
इस तरह करें शिकायत
फास्टैग से चपत लगने के मामलों में टैग के पीछे लिखे संबंधित बैंक के टोल फ्री नम्बर पर कॉल कर शिकायत करें। बैंक को मेल प शिकायत भेज सकते हैं। इसके अलावा एनएचएआई के टोल फ्री नम्बर 1033 पर तो कॉल कर के शिकायत करना ही चाहिए। शिकायत पर कार्रवाई के तहत प्राधिकरण के निर्देश पर संबंधित टोल नाके का प्रबंधन कैमरे की जांच करेगा र्और यदि सच में शिकायतकर्ता की गाड़ी वहां से नहीं गुजरी होगी तो राशि रिफंड हो जाएगी।