नई दिल्ली/लखनऊ। स्वामी प्रसाद मौर्य सहित कुछ विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा हाईअलर्ट पर है। हालात संभालने की कमान अब गृहमंत्री अमित शाह के हाथ में है। भाजपा मौर्य से लगातार संपर्क में है। सहयोगियों को भी साधे रखने की कवायद चरम पर है।
भाजपा की रणनीति किसी भी तरह मौर्य को रोकने और जल्द सपा को बड़ा झटका देने की है। मौर्य ने ऐसे वक्त पार्टी छोड़ी, जब दिल्ली में चुनाव के पहले तीन चरण के उम्मीदवारों के चयन पर अहम बैठक चल रही थी। इस्तीफे की खबर मिलते ही नाराज नेताओं को मनाने की कवायद शुरू की गई।
सहयोगियों से भी साधा संपर्क
भाजपा ने सहयोगी अपना दल व निषाद पार्टी से दो बार संपर्क साधा। दोनों सहयोगियों को सम्मानजनक सीटें देने का भरोसा दिया। दरअसल, भाजपा में हलचल तब और बढ़ गई, जब अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने भाजपा को सामाजिक न्याय से जुड़े नेताओं का सम्मान करने की नसीहत दी।
केशव की सलाह… स्वामी की नसीहत
– डिप्टी सीएम केशवप्रसाद मौर्य ने भी स्वामी प्रसाद को मनाने की कोशिश की। उन्होंने ट्वीट किया-बैठकर बात करते हैं, जल्दबाजी के फैसले अक्सर गलत होते हैं।
– बाद में, स्वामी प्रसाद ने कहा, केशवप्रसाद को खुद की दुर्गति पर तरस आना चाहिए। पहले वह अपने को सम्मानित स्थिति में लाएं। केशव उपमुख्यमंत्री हैं, मेरे सलाहकार नहीं।
डैमेज कंट्रोल शुरू… नाराज मंत्री और विधायकों को मनाने की कोशिशें तेज
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट मंत्री दारासिंह चौहान, राज्यमंत्री धर्मसिंह सैनी, विधायक ममतेश शाक्य, विनय शाक्य, धर्मेंद्र शाक्य व एमएलसी देवेंद्रप्रताप सिंह के भी भाजपा छोड़ने की खबर वायरल होने के बाद पार्टी नेताओं ने दिल्ली से सभी से फोन पर बात की। समझाने का प्रयास किया।
कहा, यदि कोई नाराजगी है तो बैठकर बात की जाएगी। नेतृत्व समाधान का प्रयास करेगा। पर, जल्दबाजी में ऐसा निर्णय नहीं करना चाहिए जिससे पार्टी के साथ उन्हें व्यक्तिगत भी सियासी नुकसान हो। इसके बाद, सैनी समेत कुछ विधायकों के भाजपा न छोड़ने के संदेश आने लगे।
दो मंत्री, कई और विधायकों के भी पार्टी छोड़ने की चर्चा
स्वामी प्रसाद के बाद दो और मंत्री सहित आधा दर्जन विधायकों के भी इस्तीफा देने की चर्चा है। मंगलवार दिनभर इसकी कयासबाजी चलती रही, पर अभी विधायकों ने इस्तीफा नहीं दिया है। माना जा रहा है, देर-सबेर वे भी सपा में शामिल हो सकते हैं।
– मौर्य का दावा है, आगे की धार और वार देखते रहिए। अभी 10 से 12 विधायक इस्तीफा देंगे।
– चार भाजपा विधायक राकेश राठौर, जय चौबे, माधुरी वर्मा और राधाकृष्ण शर्मा पहले ही सपा का दामन थाम चुके हैं।
चुनाव के पहले आए, चुनाव के पहले गए
बसपा सुप्रीमो मायावती के कभी बेहद नजदीकी रहे स्वामी प्रसाद 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में आए थे। बसपा ने तब कहा था, वे अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे, जो संभव नहीं है। मौर्य भाजपा से जीतकर मंत्री बन गए व बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा सांसद। अब 2022 चुनाव के पहले वे सपा में पहुंच गए। माना जा रहा है, उनका बेटा भी अब ऊंचाहार क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा।
अखिलेश बोले, स्वागत है
सामाजिक न्याय और समता समानता की लड़ाई लड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य एवं साथ आने वाले सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं व समर्थकों का सपा में स्वागत और अभिनंदन है। सामाजिक न्याय का इंकलाब होगा-22 में बदलाव होगा। -अखिलेश यादव, अध्यक्ष, सपा

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