नयी दिल्ली, एजेंसी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने नगालैंड जा रहे अपनी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल को असम में कथित तौर पर रोके जाने का विषय बृहस्पतिवार को निचले सदन में उठाया और आरोप लगाया कि सरकार हमेशा कांग्रेस के नेताओं को ही पीड़ित लोगों से मिलने से रोकती है।

उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाते हुए कहा, ‘‘नगालैंड में निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद सोनिया गांधी जी के निर्देश पर प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को असम में हिरासत में लिया गया। इस प्रतिनिधिमंडल में सदन के सदस्य गौरव गोगोई और एंटो एंटनी शामिल थे।’’

चौधरी ने नगालैंड की घटना के संबंध में सदन में गृह मंत्री अमित शाह के बयान का जिक्र करते हुए आरोप लगाया, ‘‘गृह मंत्री ने सदन को गुमराह करने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को रुकने के लिए कहा गया और जब वे नहीं रुके तब गोली चलाई गई। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि सीधे गोली मारी गई… यह सरकार पूर्वोत्तर की स्थिति को बिगाड़ती जा रही है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि हर जगह बाकी सबको जाने दिया जाता है, लेकिन कांग्रेस के नेताओं और सांसदों को रोका जाता है। लखीमपुर खीरी में भी यही देखा गया था।

इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह राज्य का विषय है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कहा कि यह राज्य का विषय है।

गौरतलब है कि नगालैंड के मोन जिले में गत सप्ताहांत में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर खेद प्रकट करते हुए सोमवार को कहा था कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है तथा सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो।

शून्यकाल के दौरान तेलुगू देसम पार्टी के सांसद राममोहन नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत किए गए वादों को पूरा किया जाए।

बसपा के मलूक नागर ने कहा कि ओबीसी से संबंधित क्रीमीलेयर की सीमा को आठ लाख रुपये से बढ़ाकर 60 लाख रुपये किया जाए।

 

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