नई दिल्ली : काबुल से एयरलिफ्ट किए गए भारत के 120 लोग मंगलवार को दिल्ली पहुंचे थे। आईटीबीपी के 99 कमांडो के साथ भारतीयों का दूसरा जत्था भी बुधवार को दिल्ली लौट आया। इनकी वापसी भारत के लिए कितनी चुनौती भरी रही है, इसे लेकर नए खुलासे हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने भारतीय दूतावास के काफिले को ग्रीन जोन से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी थी। ग्रीन जोन काबुल का वह इलाका है, जहां सभी देशों के दूतावास मौजूद हैं। पिछली अफगान सरकार ने तालिबान के हमलों को देखते हुए इस इलाके को ब्लास्ट प्रूफ दीवारों से बनाया था और यहां कड़ी नाकेबंदी थी। ग्रीन जोन के अलावा कड़ी सुरक्षा के साये में रहा काबुल एयरपोर्ट की तरफ जाने वाला रास्ता भी तालिबान आतंकियों ने बंद कर दिया था। इसी के बाद भारतीय दूतावास ने तालिबान से संपर्क करने का फैसला किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार शाम काबुल में भारतीय दूतावास के मुख्य दरवाजे के बाहर तालिबान के हथियारबंद आतंकियों का एक समूह मौजूद था। इनके पास मशीन गनें और रॉकेट-ग्रेनेड लॉन्चर थे। अंदर करीब 120 भारतीय राजनयिक और नागरिक मौजूद थे।
दूतावास से 20 से ज्यादा गाड़ियां बाहर निकलीं। बाहर मौजूद तालिबान आतंकियों ने इन लोगों को देखकर हाथ हिलाए और मुस्कुराए। एक आतंकी इस काफिले के आगे चल रहा था ताकि लोगों को एयरपोर्ट जाने वाली मुख्य सड़क तक पहुंचाया जा सके।
दूतावास से एयरपोर्ट की दूरी महज पांच किलोमीटर की है, लेकिन तालिबान की सुरक्षा में चल रहे भारतीय काफिले को एयरपोर्ट तक पहुंचने में पांच घंटे लग गए। तालिबान आतंकियों ने जगह-जगह चेक पॉइंट लगा रखे थे। अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाह रहे हजारों लोग सड़कों पर मौजूद थे। इसी वजह से एयरपोर्ट तक का रास्ता मुश्किल भरा था।
चौराहे पर हवाई फायर हुए
कई मौकों पर तालिबान के आतंकी अपनी गाड़ियों से नीचे कूदे और बंदूक दिखाकर आम लोगों को पीछे हटाया। एक बार तो यह भी हुआ कि हथियारबंद लड़ाकों का नेतृत्व कर रहे आतंकी ने एक चौराहे पर जमा लोगों को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं। एयरपोर्ट के नजदीक आते ही तालिबान लड़ाके अपनी गाड़ियां लेकर चले गए। एयरपोर्ट की कड़ी सुरक्षा अमेरिकी सैनिकों के हवाले थी। करीब दो घंटे की जांच के बाद भारतीय नागरिकों का समूह सेना के सी-17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन पर सवार हो पाया। यह विमान पहले गुजरात पहुंचा, वहां से दिल्ली आया।
अपने साथ दो गाड़ियां ले गए आतंकी
अपनी दो साल की बेटी के साथ दिल्ली लौटे भारतीय ने बताया कि काबुल छोड़ने से कुछ घंटों पहले तालिबान लड़ाकों का एक समूह मेरे दफ्तर आया था। उनकी भाषा तो विनम्र थी, लेकिन जब वे लौटे तब हमारी दो गाड़ियों को अपने साथ ले गए। हम तभी समझ गए कि अब हमारे लिए परिवार के साथ अफगानिस्तान छोड़ देने का वक्त आ गया है।