नई दिल्ली, एजेंसी।  इसरो के साइंटिस्ट नंबी नारायणन के प्रताड़ना मामले में सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करने का फैसला किया है। 2018 में इस मामले की जांच के लिए हाई पावर कमिटी बनाई गई थी जिसने isro scientist arrest case supreme court: ISRO Espionage case: इसरो के पूर्व  वैज्ञानिक नंबी नारायणन मामले की सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते करेगा सुनवाई - isro  scientist arrest case ...अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस डीके जैन की अगुवाई वाली कमिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को कमिटी का गठन किया था और केरल सरकार से कहा था कि नारायणन के अपमान के मामले में उन्हें 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। 1994 का ये मामला है। इसमें आरोप है कि कुछ गोपनीय दस्तावेज अन्य देश के लोगों को सौंपा गया था। इस मामले में साइंटिस्ट नारायणन को गिरफ्तार किय गया था। बाद में सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी थी और केरल के तत्कालीन आला पुलिस अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

तत्कालीन मुख्यमंत्री को देना पड़ा था इस्तीफा

यह मामला तब काफी तूल पकड़ लिया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। नारायणन को पीड़ा पहुंचाने और उन्हें प्रताड़ना करने के लिए दोषी ऑफिसरों के खिलाफ जांच और उचित कदम उठाने के लिए हाई पावर कमिटी का गठन का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और ये मामला राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अहम मामला है लेकिन तुरंत सुनवाई की जरूरत नहीं है हम अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने इसरो के पूर्व साइंटिस्ट के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर 2018 में कहा था कि उन्हें कस्टडी में लेकर ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन किया गया है और उनकी उपलब्धियों को कलंकित करने की कोशिश हुई है। 14 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में झूठे जासूसी मामले में फंसाए गए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण को बड़ी राहत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया था कि वह मानसिक प्रताड़ना के मामले में इसरो के पूर्व साइंटिस्ट को 50 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करे।

बिना किसी कारण बदनाम करने की साजिश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इस कारण एक राष्ट्रीय पहचान वाले साइंटिस्ट को अपमान का सामना करना पड़ा है। उन्हें बिना किसी कारण के बदनाम किया गया है। उन्हें फर्जी केस में फंसाया गया और पुलिस ने उन्हें हिरासत में रखा। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में कमिटी का गठन किया था।

जिन पुलिस अधिकारियों के कारण नांबी को मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा है उनके खिलाफ कार्रवाई के बारे में कमिटी को सुझाव पेश करने को कहा गया था। कमिटी ने रिपोर्ट पेश कर दी है और अब मामले में आगे की सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

 

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