नई दिल्ली, एजेंसी : इंडियन रिटेल सेक्टर पर बादशाहत के लिए मुकेश अंबानी और जेफ बेजोस की जंग के बीच इस स्पेस में कई तरह के बदलाव भी हो रहे हैं। 1.3 अरब उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी कर रहीं किराना दुकानों का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन दोनों दिग्गजों से लेकर यूनिलीवर और प्रॉक्टर गैंबल और देश के सबसे बड़े बैंक SBI, सबको प्रभावित करने वाला है।
कंज्यूमर इकोनॉमी पर दबदबा बनाने में मददगार होगा फ्यूचर ग्रुप
फिलहाल अंबानी और बेजोस फ्यूचर ग्रुप को लेकर भिड़े हुए हैं। फ्यूचर ने पैसे बेजोस से लिए लेकिन कोविड-19 का दबाव बढ़ने पर कर्ज से दबा अपना बिजनेस अंबानी को बेच दिया। ग्रुप अंबानी के हाथ लगा तो इंडियन कंज्यूमर इकोनॉमी पर उनका दबदबा अटूट हो जाएगा।
दिग्गजों की जंग में FMCG कंपनियों की अलग कहानी चल रही है
इन दिग्गजों की जंग के बीच एफएमसीजी कंपनियों की अलग कहानी चल रही है। उनके लिए 6,60,000 गावों और 800 शहरों की छोटी दुकानों तक पहुंचना मुश्किल काम रहा है। 100 साल से ज्यादा समय से मौजूदा यूनिलीवर की पहुंच ऐसी सिर्फ 15% दुकानों तक सीधी पहुंच है। वह 80% दुकानों तक पहुंचने के लिए होलसेलर की मदद लेती है। यह आंकड़ा इनवेस्टमेंट रिसर्च और एसेट मैनेजमेंट कंपनी सैनफोर्ड सी बर्नस्टीन एंड कंपनी का है।
900 शहरों के 17 लाख रिटेल स्टोर्स को सामान पहुंचा रही डड़ान
इस तरह ब्रांड्स का अधिकांश कारोबार होलसेलर और रिटेलर के रिलेशन पर चलता है, जो महँगा पड़ता है। रिटेलर्स के कामकाज के डिजिटाइजेशन से एफएमसीजी कंपनियों के लिए कारोबार फैलाने बड़े मौके मिलेंगे। इस मामले में पाँच साल पुरानी उड़ान काफी आगे बढ़ चुकी है। B2B बिजनेस स्पेस में कारोबार वाली उड़ान देशभर में मौजूद गोदामों से 900 शहरों के 17 लाख रिटेल स्टोर्स को सामान पहुंचा रही है।
उड़ान पर 30 लाख बायर और सेलर रजिस्टर्ड हैं
उड़ान सप्लायर को पिकअप पर पेमेंट देती है जबकि रिटेलर को उससे क्रेडिट मिल जाता है जो होलसेलर हाई रेट पर देता है। सब स्मार्टफोन पर हो जाता है जिससे छोटे दुकानदारों को हिसाब-किताब रखने में मदद मिलती है। बैंकों और फाइनेंसर्स को वर्किंग कैपिटल लोन के भरोसेमंद ग्राहक मिलते हैं और ब्रांड को बेहतर एक्सेस मिलता है। उड़ान पर मैन्यूफैक्चरर से लेकर किसान, फार्मासिस्ट, होटल, रेस्टोरेंट, ग्रोसरी स्टोर के रूप में 30 लाख बायर और सेलर रजिस्टर्ड हैं।
इंटरनेट कॉमर्स पर भरोसे की समस्या दूर कर रही उड़ान
इस यूनिकॉर्न के तीन को-फाउंडर में एक वैभव गुप्ता कहते हैं, ‘हमने इंटरनेट पर भरोसे की समस्या दूर की है।’ दूसरे को-फाउंडर सुजीत कुमार कंपनी की सफलता का श्रेय 2017 में लागू GST को देते हैं। अलग अलग रेट हैं और कंप्लायंस महंगा है लेकिन देशभर में एकसमान होने से अब तरह तरह की लोकल लेवी के मकड़जाल से आजाद हो गए हैं।
रिटेल स्पेस में क्रांति को बढ़ावा दे रहा मोबाइल इंटरनेट
इन सबके केंद्र में मोबाइल इंटरनेट है। अंबानी ने 2016 में 4जी लाकर महंगे मोबाइल को एकदम सस्ता कर दिया। किराना दुकानदार थोड़े बहुत ट्रेनिंग से स्मार्टफोन के जरिए कारोबारी तौर-तरीकों को बेहतर बनाने में सक्षम हैं। फ्लिपकार्ट को अमेजन का इंडियन वर्जन बनाने वाली टीम में कुमार और गुप्ता शामिल थे। तीसरे पार्टनर अमोद मालवीय फ्लिपकार्ट के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर रहे हैं। लेकिन उड़ान बनाने में इन सबने किसी ग्लोबल कंपनी को कॉपी नहीं किया, क्योंकि ऐसी कोई कंपनी ही नहीं है।
सस्ते के चक्कर में रहते हैं ऑनलाइन खरीदारी करने वाले कंज्यूमर
ऑनलाइन खरीदारी करने वाले कंज्यूमर की पसंद भले ही विदेशियों जैसी हो लेकिन ज्यादातर सस्ते के चक्कर में रहते हैं और बहुत कम कम सामान मंगाते हैं। गुप्ता के मुताबिक, ‘किचन और फ्रिज छोटे हैं और यहां जूतों के खरीदारों की जेब से भी औसतन 200 रुपये ही निकलते हैं।’ डेस्कटॉप गुजरे जमाने की बात होने से पहले इंडिया में मोबाइल कॉमर्स आ गया, लेकिन बड़ी खरीदारी भी ऑनलाइन सर्च से शुरू नहीं होती।
रिटेलर्स को लेनदेन में आने वाली रुकावट दूर कर रही उड़ान
बिहार के भभुआ से आईआईटी दिल्ली आकर पढ़ाई करने वाले कुमार सप्लाई चेन स्पेशलिस्ट हैं और वह लोगों की सोच में बुनियादी बदलाव लाने की कोशिश नहीं कर रहे। वह रुपयों के लेनदेन में आने वाली रुकावट दूर कर रहे हैं जो 10% से 12% मार्जिन पर कारोबार करने वाले रिटेलर के लिए अहम होती है। पश्चिमी देशों में यह डबल होता है।
B2C रिटेल बिजनेस राजनीतिक रूप से संवेदनशील
इंडिया में B2C रिटेल बिजनेस राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और रेगुलेटरी चुनौतियों से भरा है। स्वदेशी के नारों के बीच विदेशी ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर सरकार का शिकंजा कस रहा है। ऐसे में अंबानी को इंडियन मार्केट में बढ़त हासिल है लेकिन बेजोस पीछे हटने को तैयार नहीं। मेक इन इंडिया कैंपेन को सपोर्ट देने के लिए अमेजन ने भारत में फायर टीवी स्टिक का उत्पादन शुरू करने का ऐलान किया है।
दो दिग्गजों की लड़ाई में किराना दुकान वालों को नहींं
अब सवाल यह उठता है कि दो दिग्गजों की लड़ाई में क्या किराना दुकान वालों को नुकसान होगा? ऐसा नहीं होगा। बर्नस्टीन के मुताबिक, दशक के अंत तक रिटेल मार्केट का साइज डेटा रिवोल्यूशन के टाइम का तिगुना होकर दो लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच सकता है। उसमें छोटी दुकानों का हिस्सा 65% होगा और उनका आधार कारोबार डिजिटल हो जाएगा। उड़ान जैसी स्टार्टअप उनके बैकएंड को मॉडर्न बना देंगी जबकि अंबानी और बेजोस अपने स्टोर फ्रंट के जरिए बड़ा मार्केट हासिल कर पाएंगे।