नयी दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में 2017 से निषिद्ध बैलगाड़ी दौड़ बहाल करने की बृहस्पतिवार को अनुमति दे दी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960 के संशोधित प्रावधानों की वैधता और महाराष्ट्र द्वारा बनाये गये नियम, जो राज्य में बैलगाड़ी दौड़ के आयोजन के लिए हैं, याचिकाओं के लंबित रहने तक क्रियान्वित होंगे क्योंकि पूरा विषय एक संविधान पीठ के पास भेजा गया है।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की तीन सदस्यीय पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि तमिलनाडु और कर्नाटक के इसी तरह के संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी। इन दोनों राज्यों में यह दौड़ आयोजित की जा रही है।
पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में भी संशोधित प्रावधानों के बारे में वही व्यवस्था लागू होनी चाहिए जो दो अन्य राज्यों में किए गए इसी तरह के संशोधन पर लागू है।
न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह कहा, जिसमें यह अनुरोध किया गया था कि राज्य में बैलगाड़ी दौड़ पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में जारी है।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि राज्य में बैलगाड़ी दौड़ पर निषेध है क्योंकि बंबई उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में 2017 में अपने अंतरिम आदेश में प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था, जबकि अन्य दो राज्यों के संबद्ध अधिनियमों पर कोई रोक नहीं है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि तमिलनाडु और कर्नाटक के कानून में इस बारे मे किए गए संशोधनों की वैधानिकता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी थी जिस पर विस्तार से सुनवाई हुई और बाद में इसे संविधान पीठ को सौंप दिया गया लेकिन न्यायालय ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर भी तमिलनाडु और कर्नाटक से संबंधित याचिकाओं के साथ ही सुनवाई की जायेगी। संबंधित पक्ष संविधान पीठ को सौंपे गए मुख्य प्रकरण को सूचीबद्ध करने के लिए प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध कर सकते हैं।