नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाएं व विकास के बजाए मुफ्त में दान करने वाली घोषणाओं पर व्यापक बहस की आवश्यकता है। इसके अलावा उन्होंने राज्यसभा में प्रतिवर्ष 100 दिन की कार्रवाई पर जोर दिया। कहा कि जब पार्टियां विपक्ष में होती हैं तो सदन में 100 दिन कार्रवाई की मांग करती हैं, लेकिन सत्ता में आते ही पार्टियां इस बात को भूल जाती हैं।
उन्होंने संसद के साथ ही विधानसभाओं में भी प्रतिवर्ष 90 दिन की कार्रवाई पर जोर दिया। शनिवार को राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू पब्लिक अकाउंट कमेटी के 100 वर्ष पूरे होने पर संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारों को खर्चे को सावधानीपूर्वक संतुलित करना चाहिए, जिससे अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं समान रूप से लागू की जा सकें। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद लोगों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना सरकारों का एक सबसे बड़ा दायित्व है। इसलिए व्यापक बहस की आवश्यकता है।
आत्मनिरीक्षण का समय
वेंकैया नायडू ने कहा कि संसदीय समितियों की बैठक में सांसदों ने शामिल होना छोड़ दिया है। इसलिए यह आत्मनिरीक्षण का समय है। इस दौरान उन्होंने फिजूलखर्च रोकने और संसाधनों का दुरुपयोग न करने पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने राजीव गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि एक रुपये में महज 16 पैसे ही जनता के पास पहुंचते हैं। आगे कहा कि यह किसी पर आरोप नहीं था, बल्कि व्यवस्था पर उठाया गया सवाल था। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और पीएसी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी मौजूद रहे।

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