विदेश मंत्रालय अनुराग श्रीवास्तव ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए

नई दिल्ली, एजेंसी। किसान आंदोलन पर जहां कुछ अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रसिद्ध हस्तियों की तरफ से दुष्प्रचार करने की कोशिश की जा रही है, वही गुरुवार को अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है। अमेरिका ने कृषि सुधार को लेकर उठाये गये कदमों का स्वागत किया है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन को लोकतंत्र की एक प्रमुख पहचान बताते हुए अमेरिका ने किसी भी विवाद का शांतिपूर्ण तरीके व बातचीत से सुलझाने की बात कही है। नए अमेरिकी प्रशासन की तरफ से बेहद संयमित भाषा में आई इस प्रतिक्रिया और कृषि सुधारों पर भारत के कदमों का स्वागत भारतीय विदेश मंत्रालय के लिए बड़ी राहत की बात है तो कई देशों में किसानों के विरोध के मुद्दे पर सही तस्वीर पेश करने की कोशिश में जुटी है।

कूटनीतिक स्तर पर कृषि सुधार की सच्चाई बताने की हो रही है कोशिश

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से जब भारत में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि वह मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसा ही कहा है। वह किसी भी विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने का समर्थन करते हैं। मोटे तौर पर अमेरिका भारतीय बाजार की क्षमता को बढ़ाने और ज्यादा निजी निवेश आकर्षित करने के उपायों का स्वागत करता है। साथ ही वह यह भी मानते हैं कि किसी भी गतिशील लोकतंत्र में इंटरनेट समेत किसी भी सूचना तक बेरोकटोक पहुंच भी बहुत आवश्यक है।

अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश वर्षों से कर रहे भारत में ऐसे सुधारों की मांग

इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना कि, ‘अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया को हमने देखा है और किसी भी बयान को उसके पूर्ण परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए। आप सभी ने देखा होगा कि अमरिकी विभाग ने भारत में कृषि सुधार के लिए उठाये जा रहे कदमों की सही ठहराया है। जहां तक किसी भी विरोध प्रदर्शन की बात है तो भारत सरकार अभी अपनी लोकतांत्रिक मान्यताओं के आधार पर बातचीत से संबंधित किसान समूहों के साथ मिल कर सुलझाने की कोशिश कर रही है।

भारत और अमेरिका दोनो एक गतिशील लोकतांत्रिक देश है। 26 जनवरी, 2021 को ऐतिहासिक लाल किले में हुई हिंसा और तोड़फोड़ की तुलना आप 06 जनवरी, 2020 को कैप्टिल हिल (वाशिंगटन) में हुई हिंसा से ही कर सकते हैं। इन दोनो घटनाओं को अपने अपने स्थानीय कानून के जरिए ही निपटा जा सकता है। दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में इंटरनेट एक्सेस पर जो रोक लगाई गई थी वह हिंसा रोकने के लिए लगाई गई थी।’

अमेरिकी सरकार ने कृषि सुधार संबंधी विधेयक का जो समर्थन किया है वह उसकी पुरानी नीति है। सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन व यूरोपीय संघ के तमाम विकसित देश काफी पहले से भारत में अनाजों की सरकारी खरीद को लेकर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं। इस मुद्दे को इन देशों ने विश्व व्यापार संगठन में भी उठाया है।

यही वजह है कि विदेशी सरकारों को यह याद दिलाया जा रहा है कि भारत का कृषि सुधार कार्यक्रम भारतीय किसानों के हितों के साथ ही वैश्विक नियमों के संदर्भ में भी सही है। नवंबर, 2020 में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जब किसान आंदोलन में दखलंदाजी करने की कोशिश की थी तब उन्हें भी यह याद दिलाया गया था। उसके बाद से ट्रूडो की तरफ से कोई आपत्तिजनक बयान नहीं आया है।

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