नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) पर मिलने वाले ब्याज दरें घोषित कर दी हैं। इस राशि पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा। यह दर एक जनवरी 2022 से लेकर 31 मार्च, 2022 तक जारी रहेगी। ये ब्याज दरें जीपीएफ के दायरे में आने वाले कर्मियों के साथ ही अन्य निधियों के अभिदाताओं की जमा राशि पर भी लागू होंगी। वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग (बजट प्रभाग) द्वारा गत सप्ताह ही जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की यह दर घोषित की गई है।
केंद्र सरकार के कर्मियों को उम्मीद थी कि नव वर्ष में उन्हें बढ़ी हुई ब्याज दरों का तोहफा मिलेगा। लंबे समय से ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार ने जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर 7.9 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दी थी। तब से लेकर अब तक ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पिछले साल केंद्र सरकार ने अप्रैल से जून माह की तिमाही के लिए ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।
यह ब्याज दर सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं), अंशदायी भविष्य निधि (भारत), अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि, राज्य रेलवे भविष्य निधि, सामान्य भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं), भारतीय आयुध विभाग भविष्य निधि, भारतीय आयुध कारखाना कामगार भविष्य निधि, भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि, रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि और सशस्त्र बल कार्मिक भविष्य निधि पर लागू होगी।
वित्तीय वर्ष की प्रत्येक तिमाही की शुरुआत में केंद्र सरकार, छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज दर में संशोधन करती है। उसके बाद जीपीएफ और अन्य योजनाओं पर ब्याज दरों की घोषणा की जाती है। मौजूदा समय में पीपीएफ पर सालाना ब्याज दर 7.1 फीसदी रखी गई है। तीन जनवरी को वित्त मंत्रालय में आर्थिक कार्य विभाग ‘बजट डिवीजन’ द्वारा जारी ‘संकल्प’ में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं की कुल जमा रकमों पर दी जाने वाली ब्याज दर एक जनवरी 2022 से लेकर 31 मार्च 2022 तक 7.1 फीसदी रहेगी। यह दर एक जनवरी से से लागू होगी।
आर्थिक कार्य विभाग द्वारा अप्रैल 2021 को जारी संकल्प में भी सामान्य भविष्य निधि की राशि पर ब्याज दर 7.1 फीसदी तय की गई थी। देश में उस वक्त कोरोना की दूसरी लहर ने अपना कहर बरपा रखा था। जीपीएफ में कर्मियों के मूल वेतन का कम से कम छह फीसदी हिस्सा कटता है। चूंकि इस राशि पर बैंकों के मुकाबले ब्याज अधिक मिलता है, इसलिए बहुत से कर्मचारी अपना शेयर बढ़ा देते हैं। जीपीएफ में ज्यादा वेतन इसलिए कटवाया जाता है, ताकि कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें। कर्मचारी अपने जीपीएफ में से 90 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। हालांकि इसे लेकर नियम-शर्तें बदलती रहती हैं। बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाना या उसके लिए जायदाद खरीदना, मकान लेना है, पुश्तैनी मकान की रिपेयर करानी है और घर का लोन चुकाना है, जैसे कामों में जीपीएफ राशि काम आ जाती है। इसी वजह से कर्मचारी अपने मूल वेतन में से ज्यादा राशि जीपीएफ खाते में जमा कराते हैं।