नई दिल्ली, एजेंसी : मोदी सरकार अपनी टीम बदलने वाली है. जल्दी ही बड़ा कैबिनेट विस्तार इसी सप्ताह होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि 8 जुलाई को यह विस्तार हो सकता है। इससे दिल्ली में सियासी हलचल तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि यह सबसे बड़ा कैबिनेट विस्तार होगा और अलग-अलग राज्यों से कम से 20 नए चेहरे इसमें शामिल किए जाएंगे और कई पुराने चेहरे मंत्रिमंडल से हटाए जा सकते हैं। थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाकर इस बात का संदेश दे दिया गया है कि कई पुराने चेहरे अब मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे।
कैबिनेट विस्तार की जरुरत क्यों पड़ी?
कैबिनेट विस्तार की सबसे बड़ी जरुरत उत्तर प्रदेश, समेत कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव है तो कहीं अपने सहयोगी पार्टियों और निष्ठावान कार्यकर्ताओं से किए गए वादे भी निभाने हैं। तो दूसरी तरफ मोदी सरकार के इस कार्यकाल में कई मंत्रियों के निधन होने और कई मंत्रियों जैसे नीतिन गड़करी, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल, स्मृति ईरानी, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे कई मंत्रियों पर काम का भार कम करने की भी कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
कैबिनेट विस्तार से चुनावी राज्य साधे जाएंगे
अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होना है। बीजेपी की सबसे ज्यादा नजर उत्तर प्रदेश पर है. यहां चुनाव को ध्यान में रखकर यूपी से भाजपा की सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसमें भी जाति समीकरण को साधने की कोशिश होगी जिससे कि चुनाव के हिसाब से सभी जातियो को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह चुनावी राज्य में एक संदेश देने की कोशिश है।
सहयोगियों से किया वादा निभाना है
कैबिनेट विस्तार के जरिए भाजपा अपने सहयोगी दलों और निष्टावान नेताओं को भी मंत्री पद देकर उन्हें खुश करने की कोशिश मे लगी है। इसमें सबसे बड़ा नाम उभर कर आ रहा है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने में सबसे बड़ा योगदान देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का। सिंधिया यह खबर मिलने के बाद दिल्ली पहुंचने वाले हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल चुनाव में भी मेहनत करने वाले कुछ चेहरों को मंत्रिमंडल शामिल किया जा सकता है। महाराष्ट्र में पार्टी के बड़े नेता नारायण राणे को भी मंत्रिमंडल से शामिल किए जाने की चर्चा है। वहीं असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी दिल्ली बुला लिए गए हैं।
दूसरी तरफ बिहार से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं और लोक जनशक्ति पार्टी में फूट डालकर अलग हुए पशुपति पारस गुट को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।