BUDAUN SHIKHAR
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उपराष्ट्रपति तथा राज्य सभा के सभापति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज प्रधानमंत्री द्वारा कोविड 19 के संक्रमण के विरुद्ध 24 मार्च को घोषित देशव्यापी पूर्ण लॉकडाउन के प्रथम सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकारों तथा देश के नागरिकों द्वारा किए गए संकल्पबद्ध प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि हमारी 130 करोड़ की विशाल जनसंख्या और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं, संसाधनों के परिप्रेक्ष्य में यह एक मुश्किल, परन्तु अपरिहार्य निर्णय था। लेकिन असामान्य परिस्थितियों में असामान्य समाधान आवश्यक होते हैं।
पूर्ण लॉकडाउन के पहले सप्ताह के आखिर में श्री नायडू ने कहा कि तीन सप्ताह के लॉकडाउन का पहला सप्ताह आशान्वित करता है कि हम अंततः इस चुनौती का समाधान करने में सक्षम एवं सफल होंगे।
कोरोना के विरुद्ध वैश्विक अभियान की सफलता में भारत के प्रयासों के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व भर में हमारे प्रयासों की सराहना हुई है। किराने और सब्जी की दुकानों पर वृत्त, खाने या लाइन खींच कर सामुदायिक दूरी बनाना, रेल डिब्बों को विशेष कोरोना संक्रमण वार्डों में परिवर्तित करना, तत्परता से देश में ही जांच किट तथा वेंटिलेटर तैयार कर लेना, ये सब उस भयावह संक्रमण के विरुद्ध हमारे अदम्य संकल्प को परिलक्षित करते हैं, जिसने कितने ही देशों में जान-माल को व्यापक क्षति पहुंचाई है।
उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
उपराष्ट्रपति ने आह्वान किया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन जैसी इस अभूतपूर्व परिस्थिति में सामान्य जीवन चर्या में कुछ न कुछ व्यवधान उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इस संदर्भ में मजदूरों और कृषकों के मुद्दे पर सरकार द्वारा किए जा रहे समाधान की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें दिहाड़ी मजदूरों की समस्याओं और चिंताओं के समाधान का भरसक प्रयास कर रही हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस दिशा में अति शीघ्र यथासंभव प्रयास किए जाएंगे। आज आवश्यक है कि कारोबारी, व्यवसायी और ठेकेदार अपने श्रमिकों एवं कामगारों के साथ खड़े हों और लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए अपने कर्मचारियों की विपन्नता को दूर करने का हरसंभव प्रयास करें। उपराष्ट्रपति ने अपील करते हुए कहा, ‘आपकी अंतर्निहित मानवीयता आज समय की मांग है।’
उन्होंने कहा कि कृषि हमारे राष्ट्रीय जीवन और खुशहाली का आधार है। कृषि कार्य सुचारू और सुरक्षित रूप से हो, इसके हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए, किसानों और कृषि मजदूरों को हरसंभव सहायता प्रदान की जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस विषय पर उन्होंने स्वयं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और कैबिनेट सचिव से बात की है।
आपदा की इस घड़ी में डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस, स्वच्छता कर्मियों का अभिनन्दन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रथम पंक्ति में खड़े ये योद्धा स्वयं को खतरा होने के बावजूद निष्ठापूर्वक जन सेवा कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपेक्षा की कि इस समय हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह सामाजिक एवं व्यक्तिगत दूरी बनाए रखे और सुझाए गए स्वच्छता नियमों का पालन करे।
उन्होंने आह्वान किया कि सभी नागरिक संक्रमण के विरुद्ध अभियान के लिए स्थापित ‘पीएम केयर्स फंड’ में उदारतापूर्वक अपना योगदान दें। उपराष्ट्रपति ने उन सभी व्यक्तियों और संगठनों की सराहना की जिन्होंने इस फंड में अपना योगदान दिया है।
उन्होंने आह्वान किया कि लक्ष्य और संकल्प की एकता ही समय की मांग है। इस समय हमें मतभेदों से उपर उठ कर अपने निश्चय की एकता और दृढ़ता को बनाए रखना है। श्री नायडू ने समाज के बुद्धिजीवियों और सभी संबद्ध पक्षों का आह्वान किया कि ऐसे समय में वे अन्य किसी भी मुद्दे को किनारे रखें और संभव हो तो इस चुनौती के समाधान के लिए कारगर सुझाव दें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी जनसंख्या के विशाल आकार को देखते हुए भारत के प्रयासों की सफलता दरअसल कोरोना के विरुद्ध वैश्विक अभियान की सफलता के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक आपदा के विरुद्ध हमारी साझा विजय को सुनिश्चित करने के लिए हर भारतीय अपने साथी देशवासी के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करे।
उपराष्ट्रपति ने लोगों को सुझाव दिया कि लंबी अवधि तक घर में ही सीमित रहना निःसंदेह अभूतपूर्व अनुभव है, लेकिन वे इस चुनौती को अवसर में बदलें। जीवन की व्यस्तता से दूर यह अवधि हमें अपनों से पुराने संबंधों को पुनः जोड़ने का अवसर देती है। उनके साथ समय बिताएं। उन्होंने कहा कि शेयर एंड केयर, माधव सेवा से पहले मानव सेवा हमारा सनातन जीवन दर्शन रहा है। श्री नायडू ने आग्रह किया कि लोग पूर्ण लॉकडाउन की सीमाओं में रहते हुए समाज के कमजोर वर्गों के जरूरतमंद लोगों का सहारा बनें।
सोशल मीडिया के महत्व के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से आग्रह किया कि इस अवधि में सोशल मीडिया का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक करें। कोराना वायरस के बारे में भ्रांति फैलाने के बजाय इस समस्या के निदान और रोग के उपचार के बारे में प्रामाणिक सूचना एवं जागृति फैलाएं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अफवाह और भय फैलाने के बजाय लोगों को इस चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाया जाना चाहिए