राजकोट : अमीरों की तुलना में कोरोना गरीबों पर कम असरदार है। अपर मिडिल क्लास के 70% लोग कोरोना का शिकार हो रहे हैं। लोअर मिडिल क्लास में 25.74% लोगों पर इसका असर है। इसके उलट बस्तियों में रहने वाले गरीब तबके के 4.26 प्रतिशत लोग ही कोरोना की चपेट में आए हैं। ये खुलासा गुजरात की सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी की रिसर्च में हुआ है। सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि कोरोना लोगों की जीवनशैली के हिसाब से भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है।

अलग-अलग उम्र के लोगों पर वायरस का असर अलग-अलग है। इसके अलावा महिला और पुरुष पर भी संक्रमण का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है। रिसर्च सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. योगेश जोगसणा के मार्गदर्शन में PHD स्टूडेंट निमिषा पडारिया ने किया है। रिसर्च में 720 कोरोना मरीजों पर स्टडी की गई।

पाैष्टिक आहार लेना जरूरी
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार जूरी है, लेकिन 21वीं सदी में लोग फास्ट फूड का सेवन ज्यादा कर रहे हैं। स्टडी में सामने आया है कि पाैष्टिक तत्व लेने पर कोरोना से रिकवरी तेजी से होती है। इसके लिए गेहूं, चावल, बाजरा, ज्वार, हरी-ताजी सब्जियों और फल पर्याप्त मात्रा में खाना चाहिए। इनसे कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फेट, विटामिन, मिनरल्स, फाइबर मिलता है। ये पाचनशक्ति और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

गुजरात में 1 लाख 21 हजार एक्टिव केस
गुजरात में सोमवार को 14,340 नए कोरोना केस आए। इसके बाद कुल केसों की संख्या 5 लाख 10 हजार 373 हो गई। राज्य में 8 दिनों में ही एक लाख मरीज बढ़ गए हैं। पहली लहर में एक लाख केस होने में 168 दिन लगे थे। सोमवार को 158 मरीजों ने दम तोड़ा। मरने वालों का कुल आंकड़ा 6468 पर पहुंच गया है। इसके साथ 7727 मरीज डिस्चार्ज भी हुए। अब तक 3 लाख 82 हजार 426 लोगों को अस्पताल से छुट्‌टी मिल चुकी है। एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 1 लाख 21 हजार 461 हो गई है। इनमें 412 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। रिकवरी रेट घटकर 74.93 प्रतिशत हो गया है।

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