नई दिल्ली, एजेंसी। देश में कोरोना वैक्सीन अभियान 16 जनवरी से हुआ लेकिन इसने तेज रफ्तार 21 जून यानी योग दिवस के दिन से पकड़ी। हालांकि देश में कोरोना की वैक्सीन लेने वाले पुरुष और महिलाओं के बीच अनुपात विषम है। 21 जून से केंद्र सरकार टीका बनाने वाली कंपनियों से 75 फीसदी टीके खरीद रहा है और उसे राज्यों में बांट रहा है। ऐसा इसलिए ताकि लोगों को समय से वैक्सीन लग जाए।

बता दें कि पिछले आठ दिनों में देश में 4.61 करोड़ खुराकें लगाई जा चुकी हैं, जिसे सरकार ने इराक (4.02 करोड़), कनाडा (3.77 करोड़), सऊदी अरब (3.48 करोड़) और मलेशिया (3.23 करोड़) की आबादी से ज्यादा बताया है। हालांकि देश में पुरुष और महिलाओं द्वारा लगाई गई वैक्सीन की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महिलाएं तीन करोड़ खुराकों से पुरुषों से पीछे चल रही हैं।

बता दें कि 16 जनवरी से लेकर अबतक 14.99 करोड़ महिलाओं को टीका लगाया जा चुका है, जबकि 17.8 पुरुषों को कोरोना की वैक्सीन दी जा चुकी है, जो कि कुल टीकाकरण का 54 फीसदी है। इसके अलावा दूसरे लिंग वर्ग के 54693 लोगों को टीकाकरण लगाया जा चुका है।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई, लेकिन पहले ही गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इससे अलग कर दिया। जानकारों का मानना है कि यह एक बड़ा कारण है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम वैक्सीन लगी है। इसलिए इन दोनों के अनुपात में विषमता है।

इसके अलावा टीकाकरण की शुरुआत में यह अफवाह फैलाई गई कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं वैक्सीन नहीं ले सकती, इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। इन्हीं अफवाहों की वजह से टीकाकरण में महिलाओं की संख्या कम रही। हालांकि डॉक्टर पॉल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कोविड-19 का पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान इन सभी की जांच की जाती है।

 

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