नई दिल्ली, एजेंसी।  कोरोना काल हम सभी के लिए बेहद मुश्किल भरा साबित हुआ है। लेकिन उन बच्चों की तो पूरी दुनिया ही उजड़ गई है, जिन्होंने इस बुरे वक्त में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है। दिल्ली में अब तक 67 ऐसे बच्चे सामने आ चुके हैं, जिन्होंने कोरोना संकट में अपने सिर से पिता साया और मां का आंचल दोनों ही छिन गए। वहीं 651 बच्चों की मां हमेशा के लिए उनसे छीन लीं गईं, जबकि 1311 बच्चे ऐसे हैं, जिनके पिता को कोरोना संक्रमण निगल गया।

दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (डीसीपीसीआर) ने कहा है कि वह इन सभी बच्चों तक पहुंच कर उनको हर संभव मदद उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है। ऐसे सभी बच्चों के स्वास्थ्य-शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। ऐसे सभी बच्चों को दिल्ली सरकार की तरफ से 2500 रुपये की पेंशन तब तक मिलेगी, जब तक कि वे 25 वर्ष की आयु के नहीं हो जाते।

तीन माह में मिलीं 4500 शिकायतें

डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू के मुताबिक, आयोग ने अभी तक 2029 बच्चों का पता लगाया है, जिन्होंने कोविड की वजह से माता-पिता को खो दिया है। कोरोना काल में बच्चों के लिए विशेष सहायता के लिए हेल्पलाइन– 9311551393 जारी की गई थी। इस हेल्पलाइन पर पिछले 3 महीनों में 4500 शिकायतें मिलीं। इनमें से 2200 एसओएस शिकायतें थीं, जिन्हें तुरंत दूर किया गया, जबकि अन्य समय रहते दूर कर दिया गया।

इस हेल्पलाइन पर अभी भी बच्चों के संरक्षण से जुड़ी कोई भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है, वहीं अगर किसी बच्चे के साथ कोई परेशानी है तो उसे भी इस पर साझा किया जा सकता है।

आयोग का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में उसे बच्चों से जुड़ी लगभग 20 हजार शिकायतें प्राप्त होंगी। यह पिछले 3 वर्षों के औसत के मुकाबले 1300 फीसदी अधिक है। यह पिछले 12 वर्षों में आयोग को प्राप्त शिकायतों का 2.5 गुना है। इससे पता चलता है कि कैसे डीसीपीसीआर आम नागरिकों-बच्चों के लिए भरोसेमंद साबित हो रहा है।

 

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