नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन की वरिष्ठ अधिकारी पूनम खेत्रपाल ने शनिवार को कहा कि कई राज्यों व शहरों में कोविड-19 के मामले घटने के बावजूद वहां पर संक्रमण का खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि संक्रमण को कम करने के लिए उचित नियमों के पालन पर ध्यान देना चाहिए। दरअसल, गुरुवार को केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कुछ क्षेत्रों में कोरोना के मामलों में स्थिरता तो कहीं गिरावट देखी गइ है। हालांंकि, इस स्थिति का गौर से आंकलन करने की जरूरत है।
कहीं नहीं गया है कोरोना वायरस
डब्ल्यूएचओ अधिकारी पूनम खेत्रपाल ने कहा कि कोविड-19 का जोखिम अधिक है और कोई भी देश उससे बाहर नहीं निकल पाया है। कोरोना वायरस अभी भी मौजूद है। इसलिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान संक्रमण को कम करने पर होना चाहिए।
पिछले कुछ दिन से घट रहे मामले
दरअसल, देश में कोरोना के मामलों में एकाएक उछाल देखा गया था। 21 जनवरी को कोरोना के कुल 3,47,254 नए मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद से दैनिक संक्रमण की संख्या कम हो रही है। विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामलों और पॉजिटिविटी रेड में कमी देखी गई है।
हम अभी भी महामारी के बीच में
पूनम खेत्रपाल ने महामारी के खत्म होने के चरण के सवाल पर कहा कि यह बीमारी कहीं नहीं जा रही है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम वायरस के बीच में हैं। इसे फैलने से रोकने के उपायों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि महमारी के कम होने का यह मतलब नहीं है कि वायरस चिंता का कारण नहीं रह गया।
श्वसन नली को संक्रमित करता है ओमिक्रॉन
विश्व स्वास्थ्य संगठन की अधिकारी ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन हमारे श्वसन पथ के ऊतकों को संक्रमित करता है। जबकि, डेल्टा वैरिएंट सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर रहा था। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि ओमिक्रॉन संक्रमण से मृत्यु दर या गंभीर बीमारी का खतरा कम है। हालांकि, जिन देशों में यह संक्रमण काफी फैल रहा है वहां पर अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ गई है, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ रहा है।
बढ़ाया जाए टीकाकरण
उन्होंने कहा कि देश में अभी भी कोरोना टीकाकरण बढ़ाने की आवश्यकता है। हमने देखा है कि यह संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कर रहा है। विशेष तौर पर बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ सुरक्षा दे रहा है। जिससे लोगों में गंभीर रूप से बीमार होने, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर का खतरा कम है।
