नई दिल्ली : जनंसख्या नियंत्रण नीति को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान भले ही भारतीय जनता पार्टी को पसंद नहीं आया हो, लेकिन क्या वाकई नीतीश की इस बात में दम है कि महिलाओं को शिक्षित किए बिना इस समस्या का समाधान प्रतीकात्मक तस्वीरनहीं निकल सकता? क्या वाकई साक्षर महिलाएं बच्चे को जन्म देने को लेकर फैसले लेने में अहम भूमिका निभा पाती है? क्या निरक्षरता का सीधा संबंध प्रजनन दर पर भी पड़ा है?
बिहार में निरक्षर महिलाओं में प्रजनन दर 3 प्रतिशत है। नीतीश कुमार ने कहा है कि सिर्फ कानून बनाने से भारत में जनसंख्या नियंत्रित नहीं की जा सकती। जब महिलाएं पढ़ी-लिखी होंगी तब जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकता है। हमने आंकड़ों का विश्लेषण करके नीतीश कुमार की इसी बात को समझने की कोशिश की है साक्षर महिलाएं और प्रजनन दर का आपस में क्या संबंध है?
महिलाओं की साक्षरता दर बढ़ी तो प्रजनन दर घटा
राष्ट्रीय स्तर पर, 14.7% महिला आबादी निरक्षर है। जबकि कुछ सालों में महिलाओं की साक्षरता दर में इजाफा हुआ है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 15 से 49 वर्ष की महिला आबादी की साक्षरता दर बढ़ रही है लेकिन प्रजनन दर में कमी आई है.
एक नजर में देखिए कैसे लगातार महिला साक्षरता दर बढ़ रही है।
साल 2016- 84.8 फीसदी
साल 2017- 85.3 फीसदी
साल 2018- 87 फीसदी
निरक्षर महिलाओं में प्रजनन दर 3 प्रतिशत तो ग्रेजुएट महिलाओं में ये 1.7 प्रतिशत ही
आंकड़ों के मुताबिक निरक्षर महिलाओं में प्रजनन दर 3 प्रतिशत पाई गई है। बिना औपचारिक शिक्षा हासिल किए बिना साक्षर महिलाओं में भी प्रजनन दर 2.5 प्रतिशत है। जबकि जो महिलाएं मिडिल स्कूल तक पढ़ाई कर पाईं उनमें ये दर 2.5 प्रतिशत है।
वही जिन महिलाओं को स्कूली शिक्षा हासिल करने का मौका मिला उनमें प्रजनन दर 1.8 प्रतिशत है तो वहीं ग्रेजुएट महिलाओं में ये 1.7 प्रतिशत ही है। यानी इन आंकड़ों को देखकर यह बात समझ में आती है कि निरक्षरता का सीधा संबंध प्रजनन दर पर भी पड़ता है।
दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रजनन दर नीचे
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के सर्वे के आंकड़ें यह भी बताते हैं कि औसत प्रजनन दर मुख्य रूप से तमिलनाडु (1.6), आंध्र प्रदेश (1.6), तेलंगाना (1.7), केरल और कर्नाटक (1.7) जैसे दक्षिणी राज्यों में नीचे चली गई है। साथ ही साथ जम्मू और कश्मीर (1.6), हिमाचल प्रदेश (1.6) और उत्तराखंड (1.9)। दिल्ली (1.5), पश्चिम बंगाल (1.6), पंजाब (1.6) और ओडिशा (1.9) भी 2017 में राष्ट्रीय टीएफआर से नीचे रहा। प्रजनन दर में गिरावट के प्रमुख कारणों में से महिलाओं की शिक्षा की भूमिका बताई जाती है।
आधुनिक गर्भ निरोधक उपायों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी दर्ज
भारत में 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि सर्वेक्षण में शामिल 22 राज्यों में से 20 में आधुनिक गर्भ निरोधक उपायों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कुल प्रजनन दर 2011-2015 की 2.37 प्रतिशत से घटकर 2031-35 के दौरान 1.73 हो जाने का अनुमान है।

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