नयी दिल्ली : राज्यसभा में विपक्षी दलों ने आम बजट 2022-23 को जमीनी सच्चाइयों से कटा हुआ करार दिया और कहा कि इसमें देश में व्याप्त असमानता, बेरोजगारी और महंगाई तथा कृषि एवं असंगठित क्षेत्र की समस्याओं को कम करने के लिए कोई ठोस घोषणा नहीं की गयी है।

उच्च सदन में आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के मोहम्मद अब्दुल्ला ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी लेनदेन पर 30 प्रतिशत का कर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि कोई कानून बनाये बिना नया कर लगाया जा रहा है। उन्होंने हैरत जतायी कि जब क्रिप्टो करेंसी को देश में कानूनी मान्यता ही नहीं दी गयी है तो इस पर कर कैसे लगाया जा सकता है?

उन्होंने कहा कि आज देश महामारी के कारण जिस संकट से गुजर रहा है, उस समय सरकार को बजट के माध्यम से देश के समक्ष एक मिशन रखना चाहिए था और इसमें बजट पूरी तरह से विफल रहा है। उन्होंने दावा किया कि बजट जमीनी सच्चाइयों से पूरी तरह कटा हुआ है।

द्रमुक सदस्य ने कहा कि बजट में देश में असामनता, बेरोजगारी, कृषि एवं अनौपचारिक क्षेत्रों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण जहां 80 प्रतिशत परिवारों की आय घटी है वहीं अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गयी है।

उन्होंने इस बात पर भी हैरत जतायी कि सरकार के आर्थिक सलाहकार ने यह सलाह दी कि सैनेटरी नैपकिन पर 12 प्रतिशत कर लगाया जाए और हीरों पर पांच प्रतिशत कर घटा दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि आज देश की महिलाओं को किसकी अधिक आवश्यकता है, सैनेटरी पैड की या हीरों की?

अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है और रेलवे परियोजनाओं सहित राज्य की कई मांगों को नहीं माना गया है।

बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने चर्चा में भाग लेते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री जोसेफ शिगलेज द्वारा विश्व के सामने अस्तित्व के लिए बताये गये तीन खतरों…असमानता, जलवायु परिवर्तन और हमारे राजनीतिक एवं आर्थिक संगठनों में भरोसे की कमी का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमें लोगों के कल्याण को पहले स्थान पर रखना है तो हमें जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) से परे जाकर सोचना पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि बजट में जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन और इससे मुकाबला करने के कदमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, वह स्वागत योग्य है।

पटनायक ने कहा कि बजट में पर्यावरण मंत्रालय के लिए 3,030 करोड़ रूपये आवंटित किए गए जो देश के कुल जीडीपी का 0.012 प्रतिशत है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देना चाहिए और इसके लिए ‘नेशनल इंवेस्टमेंट एडप्टेशन फंड’ बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे पारदर्शी तरीके से बनाना चाहिए क्योंकि अभी ऐसा एक कोष है किंतु कोई निजी निवेश नहीं आया है।

उन्होंने कहा कि ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक लंबे समय से यह बात कहते आये हैं कि भारत के पूर्वी तट के लिए एक दीर्घकालिक आपदा नियंत्रण नीति बनायी जानी चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र नियमित अंतराल पर तूफानों और चक्रवातों से तबाह होता रहा है।

चर्चा में भाग लेते हुए सपा के सुखराम सिंह यादव ने बजट में जैविक खेती और खेती में ड्रोन की सहायता लिए जाने की घोषणा का स्वागत किया किंतु यह भी कहा कि हमारे देश का किसान अधिक शिक्षित नहीं है इसलिए वह ड्रोन प्रौद्योगिकी का कितना लाभ ले पाएगा, यह सोचने वाली बात है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जो किसान मारे गये हैं, उनका उल्लेख बजट में किया जाना चाहिए था और उनके परिवारों को कुछ सहायता मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोगों के मन में विश्वास था कि इस बजट में आयकर की सीमा बढ़ेगी किंतु बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं होने से लोगों को निराश हाथ लगी। उन्होंने कहा कि बजट में कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान से उबरने के लिए व्यापक उपायों की घोषणा की जानी चाहिए थी।

यादव ने दावा किया कि बजट में बड़े किसानों के लिए तो कई घोषणाएं की गयी किंतु छोटे किसानों के लिए कोई घोषणा नहीं की गयी है। उन्होंने कानपुर देहात क्षेत्र के मुख्यालय के लिए किसी रेलवे स्टेशन की घोषणा किए जाने की मांग की।

 

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