बदायूँ । संकल्प सेवा समिति के तत्वधान में शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से संस्था द्वारा दुर्गा मंदिर पुरानी चुंगी निकट बरेली रोड पर मनाई गई संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पा पुष्प अर्पित कर उन्हें शत-शत नमन किया उसके बाद ही विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता संस्था के उपाध्यक्ष योगेश पटेल ने की संचालन कोषाध्यक्ष योगेंद्र सागर ने किया।

संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप ने कहा कि नेता जी ने कहा था कि हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.’ इसके अलावा उन्होंने इस मौके पर कहा था कि ‘आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके। उन्होंने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है। देश के स्वाधीनता आंदोलन के नायकों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा….! जय हिन्द। जैसे नारों से आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। नेताजी की जीवनी और कठोर त्याग आज के युवाओं के लिए बेहद ही प्रेरणादायक है।

संस्था के कोषाध्यक्ष योगेंद्र सागर ने कहा कि नेताजी का ‘जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया। उन्होंने सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमांडर के रूप में सेना को संबोधित करते हुए ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया। गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था। जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।

संस्था के सदस्य विशाल वैश्य ने कहा कि ऐसे बताया जाता है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजादी के आंदोलन के दौरान वर्ष 1944 में कथित तौर पर विमान हादसे के शिकार होने से पूर्व आखिरी भाषण यहीं दिया था। उनके भाषण को सुनने के बाद आसपास के गांव की महिलाएं इतनी प्रभावित हो गई थी कि उन्होंने अपने घरों से गहने व कीमती वस्तुएं लाकर नेताजी को दे दिया था ताकि भारत माता को ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरों से मुक्त करा सकें।

इस मौके पर विश्वनाथ मौर्य, देशपाल सिंह ,सुनील कुमार, , शिवम जौहरी, अमन दिवाकर, अजय कश्यप, दिलीप कश्यप, अनुज कुमार, त्रिलोक शास्त्री आदि लोग उपस्थित रहे।

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