नई दिल्ली, एजेंसी। कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल अब भी उमड़-घुमड़ रहे हैं। टीका लगा चुके लोगों के भी संक्रमित हो जाने की खबरों ने इन सवालों को और भी गंभीर बना दिया है। इन्हीं सब सवालों का जवाब ढूंढने के लिए वैसे डॉक्टरों को हुए संक्रमण का अध्ययन किया गया जो टीका लगवाने के बाद कोरोना पॉजिटिव पाए गए। अध्ययन में पाया गया है कि ऐसे डॉक्टरों पर ज्यादातर को कोरोना के नए वेरियेंट ने हमला किया था। इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटेड बायॉलजी के डायरेक्टर डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि टीका लगाने के बाद संक्रमित हुए ज्यादातर डॉक्टर कोरोना के नॉर्मल स्ट्रेन से नहीं बल्कि नए-नए वेरियेंट की चपेट में आए थे।

वैक्सीन बहुत कारगर: एक्सपर्ट

तो क्या यह मान लिया जाए कि वैक्सीन अपने मकसद में बहुत हद तक कारगर नहीं है? डॉ. अनुराग का कहना है कि ऐसा नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि टीका लगवाने के बाद संक्रमित हुए ज्यादातर डॉक्टरों में कोविड के मामूली लक्षण दिखे। यह वैक्सीन की उच्च गुणवत्ता और क्षमता साबित होती है। वहीं, कुछ और विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट सामने आया, लेकिन यह देश का अकेला वेरियेंट नहीं है। महाराष्ट्र का डबल म्यूटेंट वायरस पंजाब और केरल जैसे देश के कुछ राज्यों में नहीं पाया गया। डबल म्यूटेंट के कारण ही कोविड की नई लहर आने के सवाल पर डॉ. अनुराग कहते हैं, “ऐसा पहला सिक्वेंस अक्टूबर में पकड़ में आया था, लेकिन तब कोरोना की रफ्तार लगातार सुस्त हो रही थी और किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह खास म्यूटेंट आने वाले महीनों में कहर बरपाने वाला है।”

तब केरल में नहीं मिला था म्यूटेशन

उन्होंने कहा कि दिसंबर-जनवरी में केरल और महाराष्ट्र में कोरोना ने दुबारा सर उठाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, “हमने इन दोनों राज्यों पर नजरें गड़ाईं और इन इलाकों में म्यूटेशनों की खोरज करने लगे। उस वक्त कोरोना की नई लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित केरल था, लेकिन यह म्यूटेशन वहां बिल्कुल नहीं पाया गया।” डॉ. अनुराग ने कहा, “जहां तक बात महाराष्ट्र की है तो आप देखेंगे कि भारत में सिक्वेंस की पहली रिपोर्ट से ही बीजेएमसी अस्पताल में इसके उद्भव की बात सामने आने लगी और कुछ नमूने सिक्वेंस्ड हो गए। लेकिन, वो कोई प्रतीक नहीं थे। करीब-करीब उसी वक्त कैलिफॉर्निया से रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हो रहे थे जिनमें म्यूटेशन को बहुत महत्व दिया गया। शोध में कहा गया कि नई लहर के पीछे म्यूटेशन ही है।”

आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आने का यह है कारण

उन्होंने कहा, “उस वक्त भारत में नई लहर आ चुकी थी, सिक्वेंसेंज में म्यूटेशन पाए जाने लगे थे। इसलिए, नई लहर को म्यूटेशन से जोड़ने का तर्क भी मिल गया था। आज जब कई डॉक्टर टीका लगाने के बाद भी संक्रमित हो रहे हैं तो कहीं ना कहीं इसका संबंध भी म्यूटेशन से ही है।” उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि डबल म्यूटेंट्स पॉजिटिव सैंपल्स से ही सिक्वेंस्ड हुए हैं, इसलिए यह संभव नहीं है कि वो आरटी-पीसीआर टेस्ट की पकड़ में नहीं आएं। एक अन्य एक्सपर्ट के अनुसार, अगर लोग आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने में देरी करते हैं और सात-आठ दिनों बाद लक्षण गंभीर हो जाएं तब संभवतः टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है। बेंगलुरु स्थित आईआईएससी की डॉ. सुमित्रा दास कहती हैं, “नए म्यूटेंट का उद्भव एक लंबी प्रक्रिया से हुआ है।”

 

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