नई दिल्ली : आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की बीच चल रहा विवाद का शायद जल्द निपटारा हो सकता है। गृह मंत्रालय ने 17 फरवरी को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्य सचिवों को आमंत्रित किया है। जो निर्धारित विवाद समाधान उप समिति में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 से उठे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (सीएस) की अध्यक्षता में पहले ये चर्चा होगी। बाद में द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने के लिए व्यावहारिक तरीकों की सिफारिश की जाएगी। उप समिति की यह पहली बैठक है। यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी।

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

स्पेशल कैटिगरी, आंध्रप्रदेश राज्य वित्त निगम का विभाजन, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की बिजली उपयोगिताओं का निपटान, कराधान मामलों में विसंगति को दूर करना, नकद शेष राशि और बैंक जमा का विभाजन, आंध्र प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड द्वारा नकद ऋण सहित एजेंडा मुद्दे (APSCSCL) और तेलंगाना राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड (TSCSCL), संसाधन अंतर, रायलसीमा और उत्तरी तटीय क्षेत्र को कवर करने वाले राज्य के 7 पिछड़े जिलों के लिए विकास अनुदान और कर प्रोत्साहन पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में चर्चा की जाएगी।

पीएम मोदी के बयान पर तेलंगाना में जमकर विरोध

बता दें कि संसद में यूनाइटेड आंध्रप्रदेश के विभाजन पर पीएम मोदी ने बयान दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस सरकार के समय आंध्रप्रदेश का विभाजन गलत तरीके से हुआ था। उनके बयान के बाद तेलंगाना के नेताओं ने पीएम मोदी के खिलाफ प्रदर्शन किया था। सत्तारुढ़ टीआरएस पार्टी ने बुधवार को राज्यभर में प्रदर्शन किया। साथ ही बाइक रैली भी निकाली गई।

तेलंगाना के गृहमंत्री महमूद अली ने हैदराबाद में अपने कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन किया और पीएम मोदी का पुतला फूंका था। उन्होंने कहा कि जब यूनाइटेड आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ था, उस समय मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उनको इस बारे में कुछ नहीं पता। महमूद अली ने कहा कि तेलंगाना राज्य बनाने के लिए 1200 लोगों ने अपनी जान दी। यहां तक की उन्होंने बीजेपी पर तेलंगाना का विरोधी रहने का आरोप लगाया।

 

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