नई दिल्ली, एजेंसी।  दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा के उपाध्यक्ष के पद के लिए चुनाव नहीं कराने के संबंध में संवैधानिक अधिकारियों पर निष्क्रियता का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि वह पहले से तय तिथि यानी अगले वर्ष 28 फरवरी को ही मामले पर सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों को देखने के बाद हमें इस आवेदन पर सुनवाई का कोई कारण नजर नहीं आता।’’

याचिकाकर्ता पवन रेले ने कहा कि उपाध्यक्ष का पद दो साल से अधिक समय से खाली है जो संविधान के अनुच्छेद 93 का उल्लंघन है। रेले ने अदालत ने आग्रह किया कि मामले में सुनवाई तय तिथि से पहले की जाए, क्योंकि यह कानून की उचित व्याख्या का मामला है।

याचिका में लोकसभा अध्यक्ष को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वह उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए ‘‘निकट की कोई तारीख’’ तय करें।

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘उपाध्यक्ष का पद खाली हुए 830 दिन बीत गए हैं। यह बहुत गंभीर मामला है।’’

याचिका में कहा गया है कि किसी भी प्राधिकारी को उपाध्यक्ष का निर्वाचन नहीं कराने का कोई विवेकाधिकार नहीं दिया गया है और लोकसभा के ‘प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमों’ के नियम आठ के तहत लोकसभा अध्यक्ष का यह प्राथमिक दायित्व है कि वह उपाध्यक्ष के चुनाव के लिये तारीख निर्धारित करें।

 

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