नई दिल्ली, एजेंसी : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) में पंजीकृत सभी वकीलों को मिलेगा, भले ही वे राष्ट्रीय राजधानी में मतदाता के रूप में पंजीकृत हों या नहीं।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि प्राथमिकता वकील के निवासस्थल के बजाय इस बात को दी जाएगी कि वह वकालत कहां कर रहा है। उन्होंने कहा कि भले ही कोई व्यक्ति राष्ट्रीय राजधानी में वकालत करता हो, लेकिन हर कोई यहां रहने का खर्च वहन नहीं कर सकता। अदालत ने यह भी माना कि दिल्ली में वकालत करने वाले और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रहने वाले वकील यहां न्याय दिलाने में भूमिका निभाते हैं।

उसने कहा कि मुख्यमंत्री योजना ने समाज और कानूनी पेशे में वकीलों की भूमिका को मान्यता दी है। अदालत ने उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया, जिनमें अनुरोध किया गया था कि बीसीडी के तहत पंजीकृत सभी वकीलों को योजना का लाभ देने का निर्देश दिया जाए, भले ही उनके नाम राष्ट्रीय राजधानी की मतदाता सूची में शामिल हों या नहीं हों।

याचिकाकर्ताओं में शामिल वकील गोविंद स्वरूप चतुर्वेदी ने कहा कि वह बीसीडी के तहत पंजीकृत हैं और उसके पास दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की सदस्यता है। वह यहां की अदालतों में वकालत करते हैं, लेकिन अब राष्ट्रीय राजधानी में नहीं रहते। उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना भेदभावपूर्ण, अवैध और अनुचित है।

याचिकाओं में कहा गया है कि दिल्ली की मतदाता सूची में शामिल नाम के आधार पर भेदभाव तार्किक नहीं है। याचिकाओं में सरकार की 17 मार्च की अधिसूचना को रद्द करने या संशोधित करने का अनुरोध किया गया है, ताकि दिल्ली की मतदाता सूची में नाम शामिल होने के आधार पर पात्रता की शर्त को हटा दिया जाए।

इससे पहले, अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली सरकार से कहा था कि वह 29,000 से अधिक वकीलों के लिए 30 नवंबर तक मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के तहत एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी (एनआईएसी) से बीमा पॉलिसी खरीदे। योजना के लिए बजट में कुल 50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

 

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