नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को उस याचिका पर उतर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें 13 नाबालिग दोषियों को तत्काल जेल से रिहा करने की मांग की गई है, जिन्हें अपराध के वक्त नाबालिग घोषित किया जा चुका है। ये सभी फिलहाल आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं। इन दोषियों को खूंखार अपराधियों के साथ जेलों में रखा गया है।
वकील ऋषि मल्होत्रा के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया कि वर्ष 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद किशोर न्याय बोर्ड को कैदियों की किशोरावस्था से संबंधित आवेदनों का निपटारा करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद सभी 13 याचिकाकर्ताओं को अपराध किए जाने के समय नाबालिग घोषित किया गया था। यानी बोर्ड ने पाया कि अपराध के समय इन सभी की आयु 18 वर्ष से कम थी।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
याचिका में कहा गया कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा फरवरी, 2017 से मार्च, 2021 के बीच याचिकाकर्ताओं को किशोर घोषित करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन सभी को रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। साथ ही यह भी ध्यान देने का बात है कि बोर्ड के इन फैसलों को चुनौती भी नहीं दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि यह उत्तर प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक स्थिति को दर्शाता है। याचिका में कहा गया, ‘इससे भी दुखद पहलू यह हैं कि आगरा सेंट्रल जेल में बंद ये याचिकाकर्ता 14 साल से 22 साल तक जेल में गुजार चुके हैं।’