नई दिल्ली, एजेंसी : कई लोग इस बात को लेकर सांसत में हैं कि आखिर दो-चार दिनों के अंदर ही कोरोना रिपोर्ट निगेटिव से पॉजिटिव कैसे हो सकती है? वो कभी लैब को दोषी मानते हैं तो कभी सैंपल लेने वाले को तो कभी टेस्ट सेंटर को। हालांकि, मामला कुछ अलग है। कोरोना की नई लहर पहली से कुछ अलग है। बीते 15 महीनों में कोरोना ने कई रूप बदल लिए हैं, इस कारण टेस्ट किट भी धोखा खा जा रहा है। हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने मंगलवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि प्रत्येक पांच में से एक यानी 20% मरीजों की झूठी निगेटिव रिपोर्ट आ रही है। कुछ मरीजों की तो दूसरी और तीसरी जांच में भी संक्रमण का पता नहीं चल पा रहा है।

नए साल में धोखेबाज हो गया है कोरोना

यह काफी चिंता की बात है क्योंकि कोरोना वायरस अब आरटी-पीसीआर टेस्ट की पकड़ से भी बचना सीख लिया है। जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट कोरोना को पकड़ने का सबसे ज्यादा भरोसेमंद तरीका है। बहरहाल, दिक्कत यह है कि झूठी निगेटिव रिपोर्ट आ जाने के बाद मरीज डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत महसूस नहीं करता है और वो खुद को सबसे अलग भी नहीं करता है। इस कारण मरीज का स्वास्थ्य तो बिगड़ता ही है, दूसरे भी संक्रमित होते रहते हैं।

पुराने कोरोना पर आधारित टेस्ट किट से मिल रही गलत रिपोर्ट

अमेरिका के इलियोनिस यूनिवर्सिटी और मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पिछले साल सितंबर महीने में ही एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया था जिसमें कोरोना के बदलते रूप के कारण उसके टेस्ट की पकड़ से बचने पर चिंता जताई गई थी। इसमें कहा गया, “पीसीआर डायग्नोस्टिक टेस्ट के रीएजेंट्स की डिजाइनिंग कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 वायरस के शुरुआती नमूनों पर आधारित थी। वो नमूने खासकर चीन के वुहान शहर से 5 जनवरी, 2020 को लिए गए कोरोना की जिनोम सिक्वेंसिंग के थे।” वैज्ञानिकों ने जब चेतवानी दी थी कि वायरस के म्यूटेशन से झूठी रिपोर्ट आ सकती है, तब तक यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील वाले वेरियेंट्स नहीं आए थे जो अब तबाही मचा रहे हैं।

कोरोना को ऐसे पहचान लेता है टेस्ट किट

ध्यान रहे कि टेस्ट किट कोरोना वायरस की पहचान उसके कुछ खास हिस्सों के जरिए करते हैं, जैसे फिंगरप्रिंट स्कैन या आइरिश स्कैन के जरिए आपकी पहचान की जाती है। वायरस के इन हिस्सों को डायग्नोस्टिक टार्गेट्स कहा जाता है जिन्हें बदलने में कोरोना को सितंबर में ही कामायबी मिलने लगी थी। तब वैज्ञानिकों ने कहा था कि रिपोर्ट गलत तरीके से पॉजिटिव या निगेटिव आ सकती हैं। यह डर अब सच साबित हो रहा है। भारत ही नहीं, दूसरे देशों में भी कोरोना टेस्ट किट को धोखा दे रहा है।

दुनियाभर से आ रहीं कोरोना की धोखेबाजी की खबरें

इस साल फरवरी में फिनलैंड से आई खबरों में कहा गया था कि लोकल वेरियेंट वाले कोरोना के म्यूटेशन कर लेने के कारण कुछ पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट गलत आ रही हैं। वहीं, फ्रांस के ब्रिटनी इलाके में मार्च महीने में कोरोना का नया वेरियेंट मिला जो पीसीआर टेस्ट की पकड़ में नहीं आ रहा था। एक अस्पताल की पड़ताल में इस वेरियेंट से संक्रमित सभी आठ मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई। बाद में उनके खून के नमूनों और श्वसनतंत्र से लिए गए उत्तकों (टिशूज) की जांच से उनमें कोविड की पुष्टि हुई। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस ने ऐसा म्यूटेशन कर लिया है जो पीसीआर टेस्ट की पकड़ से भी बच जाता है।

बेस्ट टेस्ट किट को भी कोरोना से मिल रहा धोखा

आरटी-पीसीआर टेस्ट में कोरोना वायरस के कई हिस्सों की पड़ताल होती है, लेकिन अलग-अलग मरीज से लिए गए नमूनों में अलग-अलग जेनेटिक के सार्स-कोव-2 के कारण रिपोर्ट में अंतर हो सकता है। बहरहाल, स्वसास्थ्य विभाग की अमेरिकी संस्था एफडीए ने डॉक्टरों को सुझाव दिया है कि वो कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी संदिग्ध पर नजर रखें और थोड़ी सी भी आशंका होने पर उसका बार-बार टेस्ट करें।

इंसान के अंदर अपना ठिकाना भी बदल रहा है?

गलत कोरोना रिपोर्ट आने के पीछे एक आशंका यह भी है कि संभवतः वायरस ने हमले का स्थान भी बदल लिया हो। इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बाइलियरी साइंसेज में क्लिनिकल माइक्रोबायॉलजी की प्रफेसर डॉक्टर प्रतिभा काले ने टीओआई से कहा, “जिन मरीजों की रिपोर्ट गलत आ रही है, संभव है कि वायरस ने उनकी नाक और गले में अपनी जगह बनाई ही नहीं हो। इस कारण नाक या गले से लिए गए स्वाब सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ रही है।” उन्होंने कहा कि साल बदलने के साथ ही बदले रूप-रंग वाले कोरोना से पाला पड़ा है जिससे निपटने में हमें मशक्कत करनी होगी।

 

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