चंडीगढ़ , एजेंसी: पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही। नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाए जाने के बाद माना जा रहा था कि सभी विवाद शांत हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मंगलवार को कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के आवास पर प्रदेश के मंत्रियों, विधायकों और अन्य सीनियर नेताओं सहित करीब दो दर्जन लोगों की बैठक ने पार्टी की अंदरूनी लड़ाई और तेज होने के संकेत दे दिए।

बैठक के बाद तृप्त बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया और चरनजीत सिंह चन्नी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह की लीडरशिप पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि कैप्टन को बदला जाए, तभी पंजाब में अगले चुनाव में कांग्रेस वापसी कर सकेगी। बैठक के बाद उक्त चारों मंत्रियों ने बाहर आकर पत्रकारों से बातचीत की, लेकिन इसके बाद वे अन्य विधायकों से मिलने के लिए फिर से अंदर चले गए।

सूत्रों के अनुसार बैठक में फैसला लेकर चार मंत्रियों और एक विधायक पर आधारित प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया है, जो नई दिल्ली में पार्टी हाईकमान से मिलकर पंजाब कांग्रेस की मौजूदा स्थिति की जानकारी देगा। यह प्रतिनिधिमंडल हाईकमान पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग करेगा।

बाजवा के आवास पर बैठक में सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी के लिए अलावा विधायक परगट सिंह, दर्शन सिंह बराड़, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, कुलबीर सिंह जीरा, परमिंदर सिंह पिंकी, दविंदर सिंह, कुलदीप सिंह वैद, प्रीतम सिंह कोटभाई, सुखपाल सिंह भुल्लर, हरजोत कमल, बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा सहित कई अन्य कांग्रेस नेता शामिल थे।

इस बैठक के दौरान किन मुद्दों पर फैसले लिए गए, यह स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन यह माना जा रहा है कि इस बैठक में एकत्र हुए सभी मंत्री और विधायक पहले भी कैप्टन का विरोध करते रहे हैं और शुरु से नवजोत सिद्धू के साथ दिखाई दिए हैं। यह भी जानकारी मिली है कि इस बैठक में हाईकमान से मिलने के लिए गठित कमेटी इसी मुद्दे को उठाने जा रही है कि कैप्टन के नेतृत्व में मौजूदा सरकार जनता से किए वादे पूरे नहीं कर सकी है और अगले चुनाव तक वादे पूरा कर पाना इस सरकार के लिए संभव नहीं होगा। इसके चलते कांग्रेस को अगले चुनाव में नुकसान हो सकता है।

 

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