नई दिल्ली, एजेंसी  : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात बताने से पहले कल जो घटना घटी उसके लिए दो शब्द जरूर कहना चाहूंगा। देश ने आदरणीय लता दीदी को खो दिया। इतने लंबे कालखंड में जिनकी आवाज ने देश को मोहित किया। देश को प्रेरित किया, देश को भावनाओं से भर दिया। सांस्कृतिक धरोहर और एकता को मजबूत किया। उन्होंने 36 भाषाओं में गाया। ये भारत के लिए एकता और अखंडता के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। मैं लता दीदी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।

उन्होंने कहा कि विश्व में बहुत बड़ा बदलाव आया है। एक बड़ा वर्ल्ड ऑर्डर जिसमें हम जी रहे हैं। मैं देख रहा हूं कि कोरोनाकाल के बाद विश्व एक नए व्यवस्थाओं की तरफ बढ़ रहा है। भारत को यह अवसर गंवाना नहीं चाहिए। टेबल पर भारत की आवाज बुलंद रहनी चाहिए। भारत को नेतृत्वकर्ता के रोल के लिए खुद को कम नहीं आंकना चाहिए। आजादी के 75 साल अपने आप में एक प्रेरक अवसर है। नए संकल्पों के साथ देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब तक हम पूरे सामर्थ्य और शक्ति और संकल्प से देश को उस तरफ ले कर पहुंचेंगे।

उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में देश ने कई क्षेत्रों में मूलभूत व्यवस्था दी है। बहुत मजबूती का अनुभव किया है। हम बहुत मजबूती से आगे बढ़े हैं। गरीबों को रहने के लिए घर हों। ये कार्यक्रम बहुत लंबे समय से चल रहा है। लेकिन इसकी व्यापकता बढ़ी है। गरीबों का घर भी लाखों की कीमत का बन रहा है। जो भी पक्का घर पाता है, वह गरीब आज लखपति की श्रेणी में भी आ जाता है। कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसे ये सुनकर गर्व न हो कि देश के हर गरीब से गरीब व्यक्ति के घर में शौचालय है। गांव के गांव शौचमुक्त हुए हैं।

पीएम ने कहा कि आज गरीब भी टेलिफोन पर अपने बैंक के खाते का इस्तेमाल करता है। सरकार की दी हुई राशि सीधी उसके बैंक खाते में पहुंचती हो। ये सब अगर आप जमीन से जुड़े हुए होते, अगर आप जनता के बीच में रहते होते, तो ये चीजें जरूर नजर आतीं, दिखाई देतीं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आप में से बहुत लोग ऐसे हैं जिनकी सुई का कांटा 2014 में अटका है। उससे वे लोग बाहर नहीं निकल पाते हैं। उसका नतीजा भी आपको भुगतना पड़ा है। आपने अपने आपको ऐसी मानसिक अवस्था में बांधकर रखा है। देश की जनता ने आपको पहचान लिया है। कुछ ने पहले, कुछ ने अभी और कुछ बाद में पहचानेंगे।

विपक्ष पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे इतना लंबा भाषण देते हैं, तो भूल जाते हैं कि 50 साल में आपने इस जगह बैठने का लाभ लिया था। आप क्यों नहीं कुछ सोच पाते हैं। नगालैंड के लोगों ने आखिरी बार 1998 में कांग्रेस के लिए वोट किया था। ओडिशा ने 1995 में आपके लिए आखिरी बार वोट किया था। 27 साल हो गए। गोवा में आप 1994 में पूर्ण बहुमत से जीते थे। पिछली बार 1988 में आप त्रिपुरा में वोट पाए थे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का हाल है कि यूपी, बिहार, गुजरात में 1985 में आपके लिए वोट किया गया था। बंगाल में 1972 में यानी 50 साल पहले आपको पसंद किया था। तमिलनाडु के लोगों ने आपको मौका देकर देख लिया। तमिलनाडु में करीब 60 साल पहले आपको मौका मिला था। तेलंगाना बनाने का श्रेय लेते हैं, लेकिन तेलंगाना की जनता ने आपको स्वीकार नहीं किया। झारखंड को बने 20 साल हो गए, लेकिन वो आपको स्वीकारते नहीं हैं। आप पिछले दरवाजे से घुसते हैं। सवाल कांग्रेस के वोटों का नहीं है। सवाल उनकी नीयत का है। इतने बड़े लोकतंत्र में इतने सालों तक शासन में रहने के बाद भी देश की जनता उनको क्यों नकारती है।

पीएम मोदी ने कहा कि सदन जैसी पवित्र जगह देश के लिए काम आनी चाहिए। इसका इस्तेमाल जिस तरह हो रहा है, जवाब देना हमारी मजबूरी बन जाती है। आपने मर्यादा का ख्याल नहीं रखा।

उन्होंने कहा कि चलिए मौका मैं भी ले लेता हूं। जब अहंकार की बात कर रहा हूं। वो जो दिन को रात कहें, तो तुरंत मान जाएं, नहीं मानोगे तो वो दिन में नकाब ओढ़ लेंगे। जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे। वो मगलूल है, खुद की समझ पर बेइंतहां। उन्हें आइना मत दिखाओ। वो आइने को भी तोड़ देंगे।

उन्होंने कहा कि आज देश अमृत काल में प्रवेश कर रहा है। आजादी की इस लड़ाई में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया, वे किसी दल से थे या नहीं थे। इन सबसे परे हटकर देश के लिए जवानी खपाने वाले लोग ये हर किसी के स्मरण का समय है। ये संकल्प लेने का अवसर है। हम सब संस्कार से स्वभाव से, व्यवस्था से लोकतंत्र के प्रतिबद्ध लोग हैं। आज से नहीं सदियों से हैं। आलोचना ये जीवंत लोकतंत्र का आभूषण है। लेकिन अंधविरोध ये लोकतंत्र का अनादर है।

कोरोना वैक्सीन पर विपक्ष पर साधा निशाना

उन्होंने कहा कि बीते दो सालों में सौ साल का सबसे बड़ा महामारी का संकल्प पूरी दुनिया की मानवजाति झेल रही है। जिन्होंने भारत के अतीत के आधार पर ही भारत को समझने का काम किया, उन्हें आशंका थी कि ये स्वभाव शायद ये भारत इतनी बड़ी लड़ाई नहीं लड़ पाएगा। भारत खुद को नहीं बचा पाएगा। लेकिन आज स्थिति क्या है। मेड इन इंडिया वैक्सीन दुनिया में सबसे अधिक प्रभावी हैं। आज भारत शत-प्रतिशत पहली डोज के लक्ष्य के निकट करीब करीब पहुंच गया है और 80 फीसदी सेकेंड डोज का पड़ाव भी पूरा कर लिया है। कोरोना एक वैश्विक महामारी थी, लेकिन उसे भी दलगत राजनीति के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। क्या ये मानवता के लिए अच्छा है। इस पर अधीर रंजन एक बार फिर आपत्ति जताने लगे। इस पर पीएम ने कहा कि मैंने तो जो कहना था कह दिया। बीच में टोकने की क्या जरूरत है जी। अब आप खड़े ही हो गए हैं, तो मैं नाम लेकर बोलना चाहता हूं।

महाराष्ट्र-दिल्ली सरकार को भी घेरा

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कांग्रेस ने हद कर दी है। अभी तो मैंने सिर्फ इतना कहा कि हद कर दी। पहली लहर के दौरान लॉकडाउन का पूरा देश पालन कर रहा था। सारे हेल्थ एक्सपर्ट कह रहे थे कि जो जहां है, वहीं पर रुके। सारी दुनिया में यह संदेश दिया जाता था कि कोरोना संक्रमित अपने साथ कोरोना ले जाएगा। मुंबई के रेलवे स्टेशन पर खड़े रह कर मुंबई छोड़कर जाने के लिए मुंबई में श्रमिकों को टिकट दिया गया। कहा गया कि जाओ महाराष्ट्र में हमारे ऊपर जो बोझ है। जाओ तुम यूपी के हो, तुम बिहार के हो, आपने ये बहुत बड़ा पाप किया। महा-अफरातफरी का माहौल खड़ा कर दिया। आपने हमारे श्रमिक भाई-बहनों को परेशानी में धकेल दिया। दिल्ली में ऐसी सरकार है जिसने दिल्ली में गाड़ी घुमाकर लोगों से कहा कि जाओ घर जाओ। बॉर्डर पर छोड़ दिया और श्रमिकों के लिए मुसीबत पैदा कीं। यूपी, उत्तराखंड, पंजाब में जिस कोरोना की इतनी गति नहीं थी। इस पाप के कारण कोरोना ने उन राज्यों को भी अपने चपेट में ले लिया। ये कैसी राजनीति है। मानवजाति पर संकट के समय ये कैसी राजनीति है। ये दलगत राजनीति कब तक चलेगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस आचरण से पूरा देश अचंभित है। कुछ लोगों ने जिस तरह का व्यवहार किया है, लोग पूछ रहे हैं कि क्या लोगों के सुख-दुख आपके नहीं है। इतना बड़ा संकट आया, कई राजनीतिक दल के नेता जो जनता के माने हुए नेता माने जाते हैं। उन्हें लोगों से अपील करनी चाहिए थी कि आप मास्क पहनें, दो गज की दूरी रखें। कितने नेता हैं। क्या ये बार-बार देश की जनता को कहते तो भाजपा-मोदी को क्या फायदा होता। लेकिन इतने बड़े संकट में भी वे पवित्र काम करने से चूक गए।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को इंतजार था कि कोरोनावायरस मोदी की छवि को चपेट में ले लेगा। बहुत इंतजार किया। आए दिन आप लोग और को को नीचा दिखाने के लिए महात्मा गांधी का नाम लेते हैं। महात्मा गांधी की स्वदेशी की बात है, उसे बार-बार हमें दोहराने से कौन रोकता है। मोदी लोकल फॉर वोकल कहता है तो क्या आप नहीं चाहते कि देश आत्मनिर्भर बने। इसका नेतृत्व आप लीजिए। महात्मा गांधी के निर्णय को आगे बढ़ाइए। आप महात्मा गांधी के सपनों को सच होते नहीं देखना चाहते।

पीएम के संबोधन की अहम बातें

–    आज पूरी दुनिया कोरोना के बीच योग को अपना रही है। आपने उसका भी मजाक उड़ाया। आपको कहना चाहिए था कि घर पर लोग हैं तो योगा कीजिए। आपको मोदी से विरोध हो सकता है। हम सबने मिलकर क्विट इंडिया के द्वारा लोगों से आगे बढ़ने को कहते। हम कहां खड़े हैं। प्यार से कह रहा हूं नाराज मत होइए।

–    मुझे कभी-कभी ये विचार आता है उनके बयानों से उनके कार्यक्रमों से, जिस तरह आप बोलते हैं, जिस तरह मुद्दों को जोड़ते हैं। ऐसा लगता है आपने मन बना लिया है कि 100 साल तक आपको सत्ता में नहीं आना है। थोड़ी भी आशा होती कि जनता आपका साथ देगी तो आप ऐसा नहीं करते। आपने 100 साल न आने की तैयारी कर ली है, तो मैने भी तैयार कर ली है।

–    सदन इस बात का साक्षी है कि कोरोना वैश्विक महामारी से जो स्थितियां पैदा हुईं, उसको लेकर क्या-क्या नहीं कहा गया। वो देखेंगे अपने बयान तो खुद हैरान होंगे कि क्या बोल दिया, किसने बुलवा दिया। दुनिया के लोगों से ऐसी बातें बुलवाई गईं कि क्या कहा जाए। बड़े बड़े पंडितों ने क्या कहा। हमारी समझ कम थी, लेकिन जहां समझ से ज्यादा समर्पण होता है, वहां सब सफल होता है। भारत ने जिस आर्थिक नीतियों को लेकर कोरोनाकाल में खुद को आगे बढ़ाया, इसको सब मानते हैं। इसका सब अध्य्यन भी करते हैं।

–   भारत आज दुनिया की जो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, उनमें सबसे तेजी से विकसित हो रही इकोनॉमी है। हमारे किसानों ने कोरोनाकाल में रिकॉर्ड पैदावार की। सरकार ने रिकॉर्ड खरीदी की, जबकि पूरी दुनिया में खाने का संकट पैदा हुआ। बीमारी से मरने की जो तादाद थी, वही भूख से मरने वालों की तादाद थी। लेकिन सरकार ने भूख से किसी को मरने नहीं दिया।

–    80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया गया। हमारा टोटल निर्यात रिकॉर्ड पर पहुंच गया। कृषि और सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। मोबाइल एक्सपोर्ट में वृद्धि हुई है। आत्मनिर्भर भारत का कमाल है कि आज भारत डिफेंस एक्सपोर्ट में कमाल कर रहा है।

हंगामे के बीच बोले- थोड़ी बहुत टोका टाकी ठीक

हंगामे के बीच पीएम ने कहा कि सदन में थोड़ी बहुत टोका टाकी ठीक है। गर्मी रहती है, लेकिन जब सीमा से बाहर जाता है तो लगता है हमारे साथी ऐसे हैं। उनके पार्टी के सांसद ने चर्चा की शुरुआत की थी। हमारे मंत्री ने सब को रोका, लेकिन उस तरफ से चुनौती आई कि हमारे नेता को रोक रहे हो। हम तुम्हारे नेता को रोकेंगे। क्या यहां वही चल रहा है? जिन लोगों को रजिस्टर करना था, आपके इस पराक्रम को नोट कर लिया है। इस सत्र में आपको कोई निकालेगा नहीं, मैं आपको गारंटी देता हूं।

कोरोनाकाल में सरकार की उपलब्धियां  गिनाईं

उन्होंने कहा कि एफडीआई का रिकॉर्ड निवेश भारत में हो रहा है। रिन्युएबल एनर्जी में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है। कोरोनाकाल में इतना बड़ा संकट सामने होने के बावजूद अपने कर्तव्य को निभाते हुए देश को बचाना है तो सुधार जरूरी थे। हमने जो सुधार किए उसका नतीजा है कि हम इस स्थिति में पहुंचे हैं। लोगों को जरूरी सपोर्ट दिया गया। नियम सरल किए। ये सारी उपलब्धियां देश ने ऐसे हालत में हासिल की हैं, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भी उथल-पुथल जारी है। लॉजिस्टिक संकट पैदा हुए। सप्लाई चेन गड़बड़ा गई। केमिकल फर्टिलाइजर पर कितना संकट आया। कितना बड़ा आर्थिक बोझ भारत पर आया, लेकिन भारत ने किसानों को कोई पीड़ा महसूस नहीं होने दी। सरकार ने खुद बोझ उठाया।

किसानों के मुद्दे पर भी बोले

उन्होंने कहा कि सरकार ने फर्टिलाइजर की सप्लाई को निरंतर जारी रखा है। कोरोना के संकट काल में भारत ने अपने छोटे किसानों को संकट से बाहर निकालने के लिए बड़े फैसले किए हैं। जो लोग जड़ों से कटे हुए लोग हैं, दो-दो चार-चार पीढ़ी से महलों में बैठने की आदत हो गई है, वो छोटे किसानों की समस्या को समझ नहीं पाएंगे। मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि आपकी छोटे किसानों से क्या दिक्कत है। आप छोटे किसानों को संकट में क्यों डालते हो?

उन्होंने कहा कि अगर गरीबी से मुक्ति चाहिए तो हमें हमारे छोटे किसानों को मजबूत बनाना होगा। अगर हमारा छोटा किसान मजबूत होता है, दो हेक्टेयर जमीन भी होगी उसके पास उस पर मेहनत करेगा तो वो काम आएगी। लेकिन छोटे किसानों के प्रति जिन लोगों में नफरत है, उन्हें किसानों की राजनीति करने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि ये जो मानसिकता है, वो आजादी के 75 साल बाद भी बदल नहीं पाए हैं। ये राष्ट्र के लिए बड़ा संकट है। आज देश का मैं चित्र देखता हूं, एक समुदाय वर्ग है, जो गुलामी की मानसिकता में जीता है। आज भी 19वीं सदी की सोच में जकड़ा हुआ है। 20वीं सदी के कानून ही चला रहे थे।

पिछली सरकारों के लिए फाइल में सिग्नेचर करना ही काम: मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि यूपी में सरयू नहर परियोजना 70 के दशक में शुरू हुई और उसकी लागत 100 गुना बढ़ गई। हमारे आने के बाद हमने उसे शुरू किया। यूपी का अर्जुन बांध परियोजना 2009 में शुरू हुई। 2017 तक एक-तिहाई खर्च हुआ। हमने कम समय में उसे पूरा कर दिया। अगर कांग्रेस के पास इतने साल की सत्ता थी, तो वो चारधाम को ऑल वेदर सड़कों से जोड़ सकते थे। पिछली सरकारों ने वॉटरवेज को नकार दिया, हमारी सरकार ने इसे शुरू किया। गोरखपुर में हमने फर्टिलाइजर का प्लांट बनाया। ये लोग ऐसे हैं जो जमीन से कटे हैं। उनके लिए फाइल में सिग्नेचर करना ही काम है। आपके लिए फाइल सबकुछ है, हमारे लिए 130 करोड़ भारतीयों का लाइफ महत्वूपर्ण है। आज उसकी का परिणाम है गतिशक्ति प्लान।

उन्होंने कहा कि हम कनेक्टिविटी पर जोर दे रहे हैं। जिस तेजी से गांव की सड़कें और नेशनल हाईवे, रेलवे लाइनों का बिजलीकरण हो रहा है, ये इस सरकार में सबसे तेजी से हो रहा है। देश में ऑप्टिकल फाइबर का काम चल रहा है। आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर आज देश की जरूरत है। हम आज ग्लोबल वैल्यू चेन के हिस्से बन रहे हैं। ये भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने कहा कि जो सदस्य जमीन पर जाते हैं, वे इसके प्रभाव को देखते हैं। कई साथी मुझे मिलते हैं, जो एमएसएमई के लिए हमारी योजनाओं की तारीफ करते हैं। मुद्रा योजना के जरिए लाखों लोग बैंक लोन लेकर अपने कामों के साथ आगे बढ़े हैं। आज स्ट्रीट वेंडरों को लोन मिल रहा है। हमने गरीब श्रमिकों के लिए दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं। इंडस्ट्री को गति देने के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। गतिशक्ति प्लान हमारी इसी योजना को लाभ पहुंचाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने एक और बड़ा काम किया है। हमने नए क्षेत्रों को आंत्रप्रेन्योरों और निजी क्षेत्रों के लिए खोल दिया है। हमने स्पेस से लेकर ड्रोन के सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के लिए निजी क्षेत्रों को मौका देने का फैसला किया है। आज मैं राज्यों से भी आग्रह करुंगा कि वे ऐसे नियम खत्म करें, जिनसे नागरिकों को परेशानी हो। आज देश उस पुरानी अवधारणा से बाहर निकल रहा है, जिसमें कहा जाता था कि सरकार ही भाग्यविधाता है। तुम्हारी आशाएं सरकार के अलावा कोई पूरी नहीं कर सकता। इसलिए सामान्य युवा के सपने और रास्ते हमने खोलना शुरू किया है।

उन्होंने कहा कि आप देखिए 2014 के पहले हमारे देश में सिर्फ 500 स्टार्टअप थे। इन सात साल में देश में 60 हजार स्टार्टअप हैं। ये मेरे देश के युवाओं की ताकत है। देश में यूनिकॉर्न बन रहे हैं। यानी उनकी वैल्यू हजार करोड़ में पहुंच जाती है। भारत के यूनिकॉर्न सेंचुरी बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। आज हमारे नौजवानों की ताकत है कि वे साल-दो साल के अंदर कारोबार को हजार करोड़ तक पहुंचा देते हैं। हम स्टार्टअप के मामले में दुनिया में टॉप-3 में पहुंच गए हैं। किस हिंदुस्तानी को इस पर गर्व नहीं होगा। लेकिन सरकार का विरोध करने वाले सुबह से ही शुरू हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि अधीर रंजन जी कह रहे थे कि लोग मोदी, मोदी मोदी करने लग जाते हैं। आप लोग एक पल बिना मोदी के नहीं बिता सकते। मोदी तो आपकी प्राण शक्ति है।

राहुल के एए वैरिएंट का भी जवाब दिया

उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश के नौजवानों को देश के वेल्थ क्रिएटर को डराने में आनंद लेते हैं। देश का युवा उनकी बातें सुन नहीं रहा। इसलिए आगे बढ़ रहा है। इन्हीं स्टार्टअप्स में कई के पास एमएनसी बनने का दम है। लेकिन कांग्रेस के साथी कहते हैं कि ये उद्यमी लोग कोरोनावायरस का वैरिएंट हैं। क्या हो गया है हमें। हमारे देश के उद्यमी कोरोनावायरस के वैरिएंट हैं क्या। कोई बोलो तो उनसे कि क्या हो रहा है। कांग्रेस पार्टी का नुकसान हो रहा है।

लोग इतिहास से सबक नहीं लेते: मोदी

उन्होंने कहा कि जो लोग इतिहास से सबक नहीं लेते हैं, वो इतिहास में खो जाते हैं। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि जरा 60 से 80 के दशक का दायरे में कांग्रेस की सत्ता आती थी। कांग्रेस की सरकार में ही मजा लेने वाले लोग नेहरु और इंदिरा की सरकार को लेकर कहते थे कि इनकी सरकार को टाटा-बिड़ला चला रहे हैं। आपने उनके साथ सत्ता साझा की। लेकिन उनकी आदतें भी ले लीं। आप इतना नीचे गए हो। आज पंचिंग बैग बदल गया है लेकिन आपकी आदत नहीं बदली।

आप देश के खिलाफ क्यों बोलते हो: पीएम

उन्होंने कहा कि वो कहते हैं कि मेक इन इंडिया हो ही नहीं सकता। उन्हें इसमें आनंद होता है। आप देश के खिलाफ क्यों बोलते हो। मेक इन इंडिया हो ही नहीं सकता। देश के आंत्रप्रेन्योर ने यह कर के दिखाया है और आप मजाक का विषय बन गए हो। मेक इन इंडिया की सफलता आपको कितना दर्द दे रही है, ये मै समझ पा रहा हूं। मेक इन इंडिया से कुछ लोगों को तकलीफ इस बात से है कि कमीशन के रास्ते बंद, इसका मतलब है भ्रष्टाचार के रास्ते बंद, इसका मतलब है तिजोरी भरने के रास्ते बंद। भारत के लोगों के सामर्थ्य को नजरअंदाज करना देश के युवाओं और उद्यमियों का अपमान है।

कांग्रेस के 50 साल पर भी हमला बोला

–    कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश में इस नकारात्मकता और निराशा का माहौल के लिए आप जिम्मेदार हैं। ये खुद निराश हैं, इसलिए देश को निराश कर रहे हैं। लेकिन देश का युवा अब जाग चुका है। जिन्होंने 50 साल तक देश की सरकार चलाई, अगर वे सिर्फ डिफेंस सेक्टर को ही देखा जाए तो पता चलेगा कि वो क्या करते थे। पहले क्या होता था। नए उपकरण खरीदने के लिए सालों तक खरीद चलती थी। जब तक वो आती थीं, वो चीजें पुरानी हो जाती थीं।

–   उन्होंने हमने रक्षा क्षेत्र के मु्द्दों को निपटाने का प्रयास किया। हमें पहले उपकरणों के लिए दूसरे देशों की तरफ देखना पड़ता था। आपाधापी में ये लाओ, वो लाओ यही करते थे। स्पेयर पार्ट्स के लिए भी हम दूसरे देशों पर निर्भर थे। दूसरों पर निर्भर होकर हम देश की रक्षा नहीं कर सकते थे। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना, ये जरूरत की बात है। इस बजट में भी हमने ज्यादा से ज्यादा रक्षा उपकरण भारत में ही बनाएंगे, भारत की कंपनियों से ही खरीदेंगे ये सुनिश्चित किया है। बाहर से खरीद को बंद करने का ये तरीका है। भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम डिफेंस एक्सपोर्टर बनने का लक्ष्य रखकर चल रहे हैं।

–    विपक्ष के हमारे साथियों ने यहां महंगाई का मुद्दा भी उठाया है। अच्छा लगता और देश का भी भला होता, अगर आप की ये चिंता तब भी होती, जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। ये दर्द उस समय भी होना चाहिए था। आप भूल गए हैं। मैं याद दिलाता हूं। कांग्रेस के आखिरी पांच सालों में लगभग पूरे कार्यकाल में देश को डबल डिजिट महंगाई की मार झेलनी पड़ी थी।

–    कांग्रेस की नीतियां ऐसी थीं कि सरकार खुद मानने लगी थी कि महंगाई उसके नियंत्रण से बाहर है। वित्त मंत्री ने लोगों से बेशर्मी के साथ कह दिया था कि महंगाई कम करने के लिए किसी अलाद्दीन के चिराग की अपेक्षा न करें। हमारे चिदंबरम जी जो कि इन दिनों इकोनॉमी पर अखबार में लेख लिखते हैं, वे 2012 में कहते थे कि लोगों को 15 रुपये की पानी की बोतल और 20 रुपये की आइसक्रीम खरीदने में दिक्कत नहीं होती, लेकिन गेहूं-चावल के दाम बढ़ जाएं तो दिक्कत होती है। आपके नेताओं की ये अंसवेदनशीलता देश ने देखी है।

–    हमारी सरकार ने पहले दिन से सतर्क और संवेदनशील रह कर इस मसले को हल करने का प्रयास किया है। हमारी सरकार ने मंहगाई नियंत्रण को वित्तीय प्रबंधन का प्राथमिक लक्ष्य बनाया। इस महामारी के बीच भी हमने कोशिश की कि महंगाई और जरूरी चीजों की कीमत आसमान न छुए।

–    महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए हमने क्या किया, ये आंकड़े खुद बता रहे हैं। कांग्रेस के समय महंगाई डबल डिजिट यानी 10 फीसदी से ज्यादा थी, वहीं 2014 से 2020 तक देश में महंगाई 5 फीसदी से कम रही है। कोरोना के बावजूद इस साल महंगाई 22.2 फीसदी रही है। उसमें भी कुल इन्फ्लेशन 3 फीसदी से कम रही है। आप अपने समय की वैश्विक परिस्थितियों की दुहाई देकर पल्ला झाड़ लेते थे।

पंडित नेहरू का भी जिक्र किया

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय में महंगाई को लेकर पंडित नेहरु ने लालकिले से क्या कहा था। पंडित नेहरु, देश के पहले पीएम लाल किले से क्या बोले थे। आज तो नेहरु जी ही नेहरु जी। मजा लीजिए आज। आपके नेता कहेंगे मजा आ गया। पंडित नेहरु जी ने लाल किले से कहा था और ये उस जमाने में कहा गया था, जब ग्लोबलाइजेशन नहीं था। उस समय नेहरु जी ने कहा था- कभी कभी कोरिया में लड़ाई भी हमें प्रभावित करती है। इसके चलते वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री ने ये कहा था।

उन्होंने कहा कि देश का पहला प्रधानमंत्री भी महंगाई पर हाथ ऊपर कर देता है। पंडित नेहरु जी आगे कहते हैं- अगर अमेरिका में भी कुछ हो जाता है, तो इसका असर भी वस्तुओं की कीमत पर पड़ता है। तब महंगाई की समस्या कितनी गंभीर थी कि नेहरु जी को भी हाथ खड़े करने पड़े थे। अगर कांग्रेस सरकार आज सत्ता में होती। ये देश का नसीब है कि देश बच गया। आज अगर आप होते तो महंगाई पुराने कोरोना के खाते में जमाकर निकल जाते। लेकिन हम इस समस्या के समाधान के लिए पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। आज दुनिया में अमेरिका जैसे देशों में महंगाई 7 फीसदी है। लेकिन हम किसी पर ठीकरा फोड़कर भाग जाने वालों में से नहीं हैं। हम इमानदारी से कोशिश करने वालों में से हैं।

गरीबी के आंकड़ों पर कांग्रेस को घेरा

उन्होंने कहा कि इस सदन में गरीबी कम करने के भी आंकड़े दिए गए, लेकिन एक बात भूल गए। इस देश का गरीब इतना विश्वासघाती नहीं है कि कोई सरकार उसकी भलाई के काम करे और वो फिर उसी को सत्ता से बाहर कर दे। ये देश के गरीब के स्वभाव में नहीं है। आपकी यह दुर्दशा इसीलिए आई क्योंकि आप बातों से ही गरीब को मनाते थे। लेकिन इस देश का गरीब इतना जागरुक है कि आपको 44 सीटों पर लाकर रोक दिया। कांग्रेस 1971 से गरीबी हटाओ के नारे पर जीतती रही। 40 साल बाद गरीबी तो हटी नहीं, लेकिन कांग्रेस सरकार ने नई परिभाषा दे दी। जब ये लोग चिल्लाते हैं, तो जान जाते हैं चोट बहुत गहरी है, कुछ लोग भाग जाते हैं, बाकी लोगों को झेलना पड़ता है। कांग्रेस ने क्या किया- 2013 में एक ही झटके में उन्होंने कागज में कमांड कर के 17 करोड़ गरीबों को अमीर बना दिया। मैं उदाहरण देता हूं। आप जानते हैं देश में ट्रेनों में फर्स्ट क्लास, सेकंड क्लास और थर्ड क्लास होती थी। उनको लगा कि एक डंडा हटाने से थर्ड क्लास, सेकंड क्लास या फर्स्ट क्लास हो गई। इसी तरह उन्होंने गरीबी हटाने का काम किया।

राहुल गांधी पर साधा निशाना

–    उन्होंने कहा कि मैंने तो समझने की बहुत कोशिश की। वो भाषण कोई समझ पाया ऐसा तो कोई मिला नहीं, लेकिन अगर कोई समझा पाए तो मैं समझने के लिए तैयार हूं। सदन में राष्ट्र को लेकर जो बातें हुईं, वो हैरान करने वाली हैं। मैं अपनी बात रखने से पहले एक बात दोहराना चाहता हूं। ये जानकारी बेहद हैरत में डालने वाली है कि बंगाली मराठी, गुजराती, तमिल, आंध्र, ओडिया, असमी, कन्नड़, मलयाली, सिंधी, कश्मीरी और हिंदुस्तानी भाषा-भाषी जनता से पटा हुआ मध्य भाग कैसे अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। इसके बावजूद इनके गुण दोष कमोबेश एक जैसे हैं। इनकी परंपरा पुराने अभिलेखन से मिलती है। वे ऐसे भारतीय बने रहे जिनकी ऐतिहासिक विरासत एक ही थी। ये कोट है। हम भारतीयों की विविधता को बताते हुए दो शब्द गौर करने वाले हैं- राष्ट्रीय विरासत। ये बात है नेहरु जी की किताब भारत की खोज में। हमारी विविधताएं एक हैं।

–    इस सदन का ये कहकर अपमान किया गया कि हमारे संविधान में राष्ट्र शब्द नहीं आता। कांग्रेस ये अपमान क्यों कर रही है, मैं इस पर विस्तार से अपनी बात रखूंगा। राष्ट्र कोई सत्ता या सरकार की व्यवस्था नहीं है। हमारे लिए राष्ट्र एक जीवित आत्मा है। इसे हजारों सालों से देशवासी जुड़े हुए हैं और जूझते रहे हैं। हमारे यहां विष्णु पुराण में कहा गया है, ये किसी भाजपा वाले ने नहीं लिखा है। इसमें कहा गया है- समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है उसे भारत कहते हैं और उनकी संतानों को भारतीय कहते हैं। विष्णुपुराण का ये श्लोक अगर कांग्रेस के लोगों को स्वीकार नहीं है तो मैं एक और कोट इस्तेमाल करुंगा।

–    यहां तमिल सेंटिमेंट को आग लगाने की भारी कोशिश की गई। कांग्रेस की जो परंपरा अंग्रेजों से विरासत में आई है। तोड़ो और राज करो, बांटो और राज करो, लेकिन आज तमिल भाषा के महाकवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती ने जो लिखा था, तमिल भाषी मुझे क्षमा करें अगर भाषा में कुछ गड़बड़ी हो, लेकिन विचार एक दम साफ हैं।

–    वे कहते हैं- “ये है स्वर्णिम देश हमारा, आगे कौन जगत में हम थे। यह है भारत देश हमारा। यह है भारत देश हमारा।” ये भारती जी की कविता का भाव है। मैं आज तमिल के सभी भाषियों से कहना चाहूंगा कि जब हमारे सीडीएस रावत के चॉपर का एक्सिडेंट हुआ तब हमारे तमिल भाई-बहन घंटो तक इंतजार करते रहे। जब सीडीएस रावत का शव वहां से निकल रहा था तो लोग आंखों में आंसू लेकर, वहां फूल बरसाकर नारे लगा रहे थे- वीर वणक्कम, वीर वणक्कम।

–    बांटो और राज करो ये कांग्रेस ने अपना चरित्र बना लिया है। आज कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग की लीडर बन गई है। जो लोकतंत्र की प्रकिया से हमें रोक नहीं पा रहे हैं, वे यहां हमें अनुशासनहीनता से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें यहां भी असफलता मिलेगी। कांग्रेस की सत्ता में आने की इच्छा खत्म हो चुकी है, लेकिन जब कुछ मिलने वाला नहीं है, तो बिगाड़ तो दो। इस फिलोसफी पर आज निराशावादी देश में वो बीज बो रहे हैं, जो अलगाव की जड़ों को मजबूत करने वाले हैं।

–    सदन में ऐसी बातें हुईं, जिसमें लोगों को उकसाने का भरपूर प्रयास किया गया। अगर पिछले सात साल में कांग्रेस के हर कारनामे को देखेंगे तो इनका गेमप्लान क्या है, वो बिल्कुल समझ आता है। आपका गेमप्लान कोई भी हो, ऐसे बहुत से लोग आए और चले गए। लेकिन ये देश अजर-अमर है। इस देश को कुछ नहीं हो सकता। आने वालों को इस तरह की कोशिश करने वालों को हमेशा कुछ न कुछ गंवाना पड़ा है। ये देश एक था, श्रेष्ठ था, ये देश एक है और श्रेष्ठ है। और आगे भी रहेगा।

लाइमलाइट में रहने के लिए विवाद खड़े कर रहे: मोदी

उन्होंने कहा कि लोगों को पीड़ा हुई है कि देश का पीएम देश के कर्तव्य की बात क्यों करता है। इसी बात को समझ के अभाव से या बदइरादे से विकृति से भर देना, विवाद खड़ा कर देना, ताकि खुद लाइमलाइट में रहें। मैं हैरान हूं कि कांग्रेस को अचानक कर्तव्य की बात सूझने लगी है। आप लोग कहते रहते हैं कि मोदीजी नेहरु जी का नाम नहीं लेते, आज मैं आपकी मुराद बराबर पूरी कर रहा हूं। देखिए कर्तव्यों के संबंध में नेहरु जी ने क्या कहा था, मैं बताता हूं- “मैं आपसे फिर कहता हूं कि आजाद हिंदुस्तान है, आज हिंदुस्तान की सालगिरह हम मनाते हैं, लेकिन आजादी के साथ जिम्मेदारी होती है और कर्तव्य खाली हुकूमत की नहीं, जिम्मेदारी हर शख्स की होती है। अगर आप उस जिम्मेदारी को समझते नहीं है, तो आप आजादी के सही मायने नहीं समझे और आप आजादी को बचा नहीं सकते हैं। ये नेहरु जी यानी देश के पहले पीएम ने कहा था, लेकिन आप उसे भी भूल गए।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां कहा गया है- विद्या ज्ञान के लिए एक एक पल महत्वपूर्ण होता है। संसाधनों के लिए एक-एक अणु जरूरी होता है। एक-एक क्षण बर्बाद कर के ज्ञान हासिल नहीं किया जा सकता और एक-एक कण बर्बाद किया गया, संसाधान का इस्तेमाल नहीं किया गया, तो ये संसाधान बर्बाद हो जाते हैं। आप ये मंथन जरूर कीजिए कि आप कहीं इतिहास के इस अहम क्षण को नष्ट तो नहीं कर रहे। आपके पास मेरी आलोचना के कई मौके हैं। लेकिन आजादी के अमृत काल के समय भारत की विकास यात्रा में सकारात्मक योगदान का समय है।

उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष के और यहां के सभी साथियों से सदन के माध्यम से देशवासियों से निवदेन, अपेक्षा करता हूं कि आओ इस आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर हम आत्मनिर्भर भारत  के संकल्प के साथ हम आगे बढ़ें। हम जहां कम पड़े हैं, वहां काम पूरा करें। देश के विकास के लिए मिल कर काम करना है। राजनीति अपनी जगह है। हम दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश हित में आगे आएं, ऐसी अपेक्षा करें। मैं फिर एक बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव का अनुमोदन करता हूं। आपने जो अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद।

 

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