नयी दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में दावा किया गया है कि कोविड-19 के मरीजों के लिए यहां सुल्तानपुरी स्थित एक पृथक-वास केंद्र ‘‘अस्वच्छ’’ है, ‘‘रहने योग्य नहीं है’’ और वहां पर मरीजों को देखने के लिए चिकित्सा पेशेवरों की कमी है। इस पर अदालत ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह जनहित याचिका को अभिवेदन मानते हुए उसमें उठाए गए मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई करे।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि याचिका में जिन मुद्दों का उल्लेख किया गया है वह उन पर तत्काल एवं जल्द से जल्द कार्रवाई करे।

इस निर्देश के साथ ही अदालत ने याचिका का निबटारा कर दिया।

याचिका जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने दायर की थी। इसमें इस छात्रा ने कहा था कि विश्वविद्यालय परिसर में रहने के दौरान वह कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रस्त हो गई और उसे सुल्तानपुरी स्थित पृथक-वास केंद्र भेजा गया था।

छात्रा ने दावा किया कि वह यह देखकर हैरान रह गई कि केंद्र में साफ-सफाई नहीं थी तथा मरीजों को कोई सुविधाएं भी नहीं दी गई थीं।

याचिका में उसने कहा कि केंद्र में चार दिन रहने के दौरान उसने पाया कि वहां पर मरीज अपनी बीमारी के कारण ही नहीं बल्कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण परेशान हो रहे थे। उसने कहा कि केंद्र में कोई चिकित्सक या नर्स मरीजों को देखने नहीं आता था।

 

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