BUDAUN SHIKHAR
शिमला
22 अक्टूबर
बी डी शर्मा  प्रशिक्षण कार्यक्रम  में 
”जन सम्पर्क अधिकारियों को जनता में विश्वास स्थापित करने के लिए मीडिया के साथ सौहार्दपूर्ण तथा स्थायी सम्बन्ध बनाने चाहिए। इन सम्बन्धों से जन सम्पर्क अधिकारियों को सरकार की विकासात्मक योजनाओं से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण जानकारी लोगों तक पहुंचाने में सहायता मिलेगी।“

यह बात पूर्व निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क बी.डी. शर्मा ने आज यहां सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग द्वारा जिला लोक सम्पर्क अधिकारियों, सहायक लोक सम्पर्क अधिकारियों तथा उप-सम्पादकों के लिए हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान फेयरलाॅन्स में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे व अंतिम दिन के अवसर पर कही।
सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों व उपलब्धियों, प्रचार के साधनों, होर्डिंग, प्रदर्शनी, डिसप्ले बोर्ड, वीडियो डिसप्ले तथा विज्ञापन में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की भूमिका पर बातचीत करते हुए बी.डी. शर्मा ने कहा कि जन सम्पर्क क्षेत्र चुनौतियों से भरा है लेकिन जन सम्पर्क अधिकारी अतिरिक्त प्रयासों द्वारा इन्हें जनता की सेवा के अवसरों में परिवर्तित कर सकते हैं। लोकतांत्रिक तंत्र में सरकार लोगों के प्रति जबावदेह है तथा जन सम्पर्क सुशासन के प्रभाव के प्रचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जन सम्पर्क अधिकारियों को सरकार की योजनाओं के प्रचार के लिए सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए। उन्हें सरकारी विभाग, मीडिया, निजी कम्पनियों, स्वयं सेवी संस्थाएं इत्यादि से सम्पर्क रखना पड़ता है ताकि लोगों तक सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचाई जा सके। जन सम्पर्क क्षेत्र में जन सम्पर्क अधिकारी को अपने संचार कौशल को समाज के कल्याण के लिए प्रयोग करने का अवसर प्राप्त होता है। संचार के क्षेत्र में निष्ठा व कठिन परिश्रम से ही सफलता की जा सकती है।
उन्होंने प्रेस विज्ञप्तियों, फीचर, सफलता की कहानी तथा लेखों पर बातचीत करते हुए बेहतर संचार के लिए लेखन कौशल में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जन सम्पर्क के आदर्शों में संक्षिप्तता भी शामिल है। पे्रस विज्ञप्तियां सदैव संक्षिप्त तथा प्रभावी होनी चाहिए ताकि वास्तविक संदेश जनता तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रेस विज्ञप्तियांें में संदेश तथा तथ्य शामिल होने चाहिएं तथा अतिरिक्त जानकारी नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता के लिए अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए फीचर, सफलता की कहानियों तथा लेखों का उपयुक्त उपयोग किया जाना चाहिए।
इसके उपरांत, वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र मखैक ने ‘एन ओवरव्यू आॅफ सोशल मीडिया’ पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि हूटसूट नामक सोशल मीडिया प्रबंधन प्लेफार्म द्वारा एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार विश्व की आबादी 7.68 बिलियन है, जिसमें से 5.1 बिलियन (67 प्रतिशत) मोबाइल उपयोगकर्ता, 3.48 बिलियन (45 प्रतिशत) सोशल मीडिया उपयोगकर्ता जबकि भारत की आबादी 1.36 बिलियन है जिसमें 310 मिलियन (23 प्रतिशत) सोशल मीडिया उपयोगकर्ता, 560 मिलियन (41 प्रतिशत), इंटरनेट उपयोगकर्ता तथा 1.2 बिलियन (87 प्रतिशत) मोबाइल उपयोगकर्ता शामिल है। ग्लोबल सोशल मीडिया अकांउटस में फेसबुक के 65.23 प्रतिशत, यूटयूब के 54.60 प्रतिशत, इंस्टाग्राम के 28.73 प्रतिशत, टीकटाॅक के 14.36 प्रतिशत, ट्वििटर के 9.36 प्रतिशत तथा लिंकडीन के 8.7 प्रतिशत अकांडटस है जबकि भारत में यूटयूब के 93 प्रतिशत, फेसबुक के 89 प्रतिशत, इंस्टाग्राम के 69 प्रतिशत, ट्वििटर के 57 प्रतिशत और लिंकडीन के 48 प्रतिशत अकांडटस है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया शिक्षित तथा अशिक्षित उपभोक्ताओं के लिए उपयोगी है। आजकल मोबाइल फोन पर ज्यादा बल दिया जा रहा है तथा एक क्लिक पर जानकारी प्रदान करने के लिए और ज्यादा मोबाइल आधारित एप बनाए जा रहे है। विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए संदेश तैयार करने में कई भाषाओं का उपयोग किया जा रहा है। सोशल मीडिया लोकमत बनाता है तथा भविष्य में हमारे देश में सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि होगी। सोशल मीडिया से जहां पारदर्शिता आई है वहीं भ्रांति भी सृजित हो रही है। जन सम्पर्क अधिकारियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करना तथा इसमें भाग लेना चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं की जानकारी को अधिकतम लोगों तक पहुंचाया जा सके। सोशल मीडिया को समाज में अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है लेकिन जन सम्पर्क अधिकारियों को इस उपयोगी मीडिया का उपयोग करने के लिए इसकी खामियों से निपटने की रणनीति पर कार्य करना चाहिए।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन ने इस अवसर पर सरकार के कार्यक्रमों तथा नीतियों के उपयुक्त तथा सामयिक प्रचार पर बल दिया ताकि आमजन सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सके। उन्होंने सरकार के कार्यक्रमों तथा नीतियों के बेहतर प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म तथा अन्य ऐप्लीकेशनों के उपयोग पर भी बल दिया।
सहायक प्राचार्य हिप्पा एवं पाठ्यक्रम समन्वयक डा. राकेश शर्मा, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) संजय शर्मा, संयुक्त निदेशक (विज्ञापन) आरती गुप्ता, संयुक्त निदेशक (प्रेस) प्रदीप कंवर, संयुक्त निदेशक (प्रत्यायन) महेश पठानिया तथा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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