नई दिल्ली, एजेंसी : कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के पांव पसारने के बाद भारत में कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक लगवाने के मुद्दे पर चर्चा तेज है। इस बीच में देश में बूस्टर खुराक के लिए पहला क्लीनिकल अध्ययन वेलूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में शुरू हो गया है। इस शोध के लिए संस्था को ऐसे वालंटियर्स की जरूरत है, जिन्होंने तीन से छह माह पहले कोवाक्सिन की दोनों डोज ली हैं। लेकिन कोवाक्सिन लेने वाले लोगों के आसानी से नहीं मिलने के कारण संस्थान को इसके अध्ययन में देरी हो रही है।
संस्था से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, भारत में लोगों को लगाए गए लगभग 88 फीसदी टीके कोविशील्ड के हैं। जबकि कोवाक्सिन टीके लगवाने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है। ऐसी स्थिति में क्लीनिकल अध्ययन के लिए लोग नहीं मिल पा रहे हैं। इसी को देखते हुए संस्थान ने सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया हैं। संस्था ऐसे लोगों को खोज रही है, जो कोवाक्सिन का टीका ले चुके हैं। संस्थान का सोशल मीडिया पर कहना है कि क्लीनिकल परीक्षण के लिए वालंटियर्स की जरूरत है, जो लोग कोवाक्सिन की दो खुराक तीन-छह महीने पहले ले चुके हैं, वे बूस्टर खुराक के अध्ययन में शामिल होने के पात्र हैं। वर्तमान में यह परीक्षण वेलूर, चेन्नई, बेंगलुरु या दिल्ली में रहने वालों के लिए किया जा रहा है।
सीएमसी वेलूर को अगस्त में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा क्लीनिकल परीक्षण कराने की मंजूरी मिली थी। संस्थान ने ऐसे 200 वालंटियर्स की भर्ती आसानी से कर ली, जिन्होंने कोविशील्ड की दोनों डोज ली हैं। लेकिन संस्थान के लिए ऐसे लोगों को खोजने में दिक्कतें हो रही है, जो कोवाक्सिन का टीका ले चुके हैं और तीसरी खुराक भी लेने के लिए तैयार हों।
सूत्र ने आगे बताया कि ये क्लीनिकल परीक्षण रैंडम होगा। इसमें प्रतिभागी बूस्टर खुराक के रूप में अलग से टीका ले सकते हैं। कोविशील्ड लेने वाले लोगों से जुड़े परीक्षण डाटा और कोवाक्सिन के परीक्षण डाटा एक साथ ही जारी किए जाएंगे। यह अध्ययन न केवल प्रतिभागियों में बूस्टर खुराक के बाद एंटीबॉडी के स्तर को मापेगा, बल्कि इस अध्ययन के एक सबसेट में टी-सेल प्रतिक्रिया होगी। टी-सेल या मेमोरी सेल, लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरोधक क्षमता को दर्शाता है। इस अध्ययन के लिए फंडिंग, सीएमसी, वेल्लोर ने की है, जो सीधे कंपनियों से टीके खरीदता रहा है। कंपनियों ने भी शोध के लिए बहुत सहयोग किया है और टीके के ऐसे बैच उपलब्ध कराए गए हैं, जिनकी एक्सपायरी में अभी वक्त है।