नयी दिल्ली :  उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के चुनाव से जुड़ी याचिका पर तत्काल सुनवाई करने के निवेदन पर विचार करेगा। नगर निकाय का कार्यकाल 10 सितंबर, 2020 को समाप्त हो गया था।

नगर निकाय चुनाव के कुछ उम्मीदवारों की ओर से पेश हुई वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से कहा कि बीबीएमपी का कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो जाने के बावजूद चुनाव नहीं कराए गए हैं।

वरिष्ठ अधिवक्त ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के जरिए चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है।

पीठ ने कहा, ‘‘देश में काफी चुनाव हो रहे हैं।’’

जब अरोड़ा ने कहा कि यह मामला उस नगर निकाय के चुनाव से जुड़ा है, जिसका कार्यकाल समाप्त हो गया है, तो पीठ ने कहा, ‘‘आपने जिक्र कर दिया है। इसे हम पर छोड़ दीजिए। हम देख लेंगे।’’

इससे पहले, कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर लंबित याचिका की तत्काल सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को बीबएमपी के 198 वॉर्ड में चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

पीठ को सूचित किया गया था कि नगर निकाय का पांच साल का कार्यकाल 2020 में पूरा हो गया है और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे (सेवानिवृत्त) की अगुवाई वाली पीठ ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी, इसलिए तात्कालिकता है।

उच्च न्यायालय ने चार दिसंबर 2020 को सुनाए फैसले में राज्य निर्वाचन आयोग को छह हफ्ते में चुनाव कराने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कर्नाटक नगर निगम तृतीय संशोधन अधिनियम (2020) में उल्लिखित 243 सीटों के बजाय, तीन सितंबर 2020 की परिसीमन अधिसूचना के तहत बीबीएमपी चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

सरकार ने कहा था कि उच्च न्यायालय के फैसले ने जन प्रतिनिधियों से बनी राज्य विधायिका की सर्वसम्मति को रद्द कर दिया जिसने बेंगलुरु में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 243 करने के लिए कर्नाटक नगर निगम अधिनियम 1976 में संशोधन किया था।

राज्य सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने भारत के सबसे बड़े महानगरीय शहरों में से एक में शहरी शासन में सुधार के प्रयासों को बाधित किया है।

याचिका में कहा गया है कि वार्डों की संख्या में वृद्धि इसलिए जरूरी थी क्योंकि शहर की जनसंख्या और जनसांख्यिकी में 2009 के बाद से बड़े बदलाव हुए हैं। उस समय वार्ड की संख्या बढ़ा कर 198 कर दी गई थी।

 

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