नई दिल्ली, एजेंसी।   अनमैंड एरियल वीइकल यानी ड्रोन पर हो रहे काम के बीच अब इंडियन आर्मी रिमोट से या खुद चलने वाली गाड़ियों (अनमैंड ग्राउंड वीइकल) पर फोकस कर रही है। आर्मी को स्वदेशी कंपनियों से ऐसे अनमैंड ग्राउंड वीइकल चाहिए जो सर्विलांस और रैकी के लिए तो इस्तेमाल किए जा सकें, साथ ही घायल सैनिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर विस्फोटक ढूंढकर उसे नष्ट करने तक का काम कर सकें। ये अनमैंड वीइकल रेगिस्तान से लेकर पहाड़ तक और मैदान से लेकर हाई एल्टीट्यूट एरिया तक में काम करने के लिए सक्षम होने चाहिए।

9 दिसंबर से दिखेगी झलक

इंडियन आर्मी के एक अधिकारी के मुताबिक अनमैंड ग्राउंड वीइकल टेक्नॉलजी पर ज्यादा काम इसलिए नहीं हुआ है क्योंकि हमें स्वदेशी इंडस्ट्री की कैपेबिलिटी और इंडस्ट्री को हमारी जरूरत नहीं पता है। इसलिए आर्मी अब इंडस्ट्री, स्टार्टअप, इनोवेटर्स को एक प्लेटफॉर्म में ला रही है। 9 से 14 दिसंबर को बबीना रेंज (झांसी के पास) में अलग अलग स्वदेशी कंपनियां अलग अलग प्रकार के अनमैंड ग्राउंड वीइकल को दिखाएंगी। ये अलग अलग कटैगरी के होंगे जो सर्विलांस, रैकी से लेकर घायलों को सुरक्षित निकालने के लिए इस्तेमाल हो सकेंगे।

आर्मी को चाहिए ये वाहन

कुल 12 कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही है। ऐसे वीइकल का प्रोटोटाइप दिखाया जाएगा जो बिना सैनिक के ऑटोनोमस मोड में या रिमोटली कंट्रोल मोड में चल सकें। ये रेगिस्तान, मैदान, पहाड़ और हाई एल्टीट्यूट एरिया में ऑपरेट कर सके। आर्मी को ऐसे अनमैंड वीइकल की जरूरत है जो 250-500 किलो का लोड ले जा सके, 12 घंटे बिना किसी रुकावट के काम कर सके।

रेकी के लिए दिन के अलावा नाइट विजन कैपेबिलिटी भी हो, जो कम से कम दो किलोमीटर दूर तक कम्युनिकेशन भेज सके। ऐसे अनमैंड ग्राउंड वीइकल की भी जरूरत है जो मिडियम मशीन गन के लिए प्लेटफॉर्म का काम कर सकें। विस्फोटक की पहचान कर सकें और उसे नष्ट कर सकें, साथ ही कम से कम 500 मीटर दूर से रिमोटली ऑपरेट हो सकें। इनकी स्पीड कम से कम 10 किलोमीटर प्रति घंटे हो और कम से कम दो घंटे बिना रुकावट के काम कर सकें।

 

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