नई दिल्ली।  चीन और भारत के बीच 14 वें दौर की सैन्य वार्ता बुधवार को होने वाली है। उससे पहले चीन ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कोरोना पॉजिटिव होने पर भारतीय सैनिकों के बारे में झूठ प्रचारित किया है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने शिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग के हवाले से लिखा है रक्षा मंत्री के संक्रमित होने से यह संकेत मिलता है कि कोरोना महामारी की नई लहर ने भारत के लोगों के साथ-साथ सैनिकों पर भी गहरा प्रभाव डाला है। जिसका मनौवैज्ञानिक असर  सीमा पर तैनात सैनिकों पर पड़ेगा, क्योंकि वायरस फैलने से रोकने के लिए कम सुरक्षाकर्मियों की अदला-बदली होगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि वे कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। वे वायरस के हल्के लक्षण महसूस कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से वह होम क्वारंटाइन हैं।

हमारे सैनिकों का मनोबल इतना कमजोर नहीं

रक्षा विशेषज्ञ और 2011-12 में लेह-लद्दाख के 14 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके मेजर जनरल ए के सिवाच (रिटायर्ड) चीन के इस प्रोपेगेंडा को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि हमारे सैनिकों का मनोबल इतना कमजोर नहीं है कि रक्षा मंत्री के बीमार होने से उस पर असर पड़े। हमारे जांबाज सैनिक हर परिस्थिति में सीमा की चौकसी करना चाहते हैं। कोई भी हालात और कोई भी परिस्थिति उन्हें अपने कर्तव्य का निर्वाह करने से रत्ती भर भी नहीं हिला सकती।

चीन प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश में

सिवाच के मुताबिक वार्ता से पहले इस तरह की बात करके चीन एक मनोवैज्ञानिक प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा है। इससे हमारी तैयारी और बुधवार को होने वाली वार्ता पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हां, जो कोर-कमांडर इस वार्ता में शामिल होने वाले हैं, यदि वे बीमार होते तो वार्ता पर असर पड़ सकता था लेकिन फिर भी सैनिकों के मनोबल का इससे कोई लेना-देना नहीं होता।

14वें दौर की वार्ता बुधवार को

पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के वरिष्ठ सर्वोच्च सैन्य कमांडर स्तर (एसएचएमसीएल) की 14वें दौर की बातचीत बुधवार सुबह होगी। वार्ता चीन की ओर चुशुल-मॉल्डो में होगी। यह पहली बार होगा जब 14 कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता वार्ता में भाग लेंगे। इस दौरान भारत सीमा विवाद को लेकर जारी तनाव को कम करने की कोशिश करेगा। भारतीय सेना के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

सिवाच कहते हैं हमने सीमा पर अपना हैबिटेट बना लिया है। हमारे 60 हजार सैनिक वहां तैनात हैं। चीन चाहे जितना मनोवैज्ञानिक प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर लेकिन भारत रचनात्मक बातचीत से पीछे नहीं हटेगा।

पहले बातचीत बेनतीजा रही थी

14वें दौर की वार्ता में भारत उन क्षेत्रों को सुलझाने के लिए रचनात्मक बातचीत करने के लिए तत्पर है जहां सैनिकों के बीच संघर्ष होने की आशंका रहती है। भारत और चीन के बीच 13वें दौर की वार्ता 10 अक्टूबर 2021 को हुई थी और यह वार्ता बेनतीजा रही थी। कोर कमांडर स्तर पर हुई इस सैन्य वार्ता के बाद भी पूर्वी लद्दाख में तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं मिले।

भारत और चीन 18 नवंबर को वर्चुअल कूटनीतिक वार्ता में 14वें दौर की सैन्य वार्ता करने पर राजी हुए थे ताकि पूर्वी लद्दाख में बाकी के टकराव वाले स्थानों पर पूरी तरह से सेना को हटाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख की सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था।

मई 2020 में लद्दाख में सैन्य तनाव शुरू होने के बाद, सरकार ने इस क्षेत्र में कथित तौर पर सैनिकों की तैनाती 60,000 से अधिक बढ़ा दी है। चीन ने पिछले एक साल में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सीमा से लगे पूर्वी क्षेत्र में आक्रामक कदम उठाए हैं।

चीन कई मुद्दों पर बात करने से हिचक रहा

भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील, गोगरा हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी समेत संघर्ष वाले बिंदुओं पर बफर जोन बनाए गए हैं। भारत पूरे पूर्वी लद्दाख में डी-एस्केलेशन पर जोर दे रहा है, जिसमें देपसांग और डेमचोक  जैसे स्थान शामिल हैं, जहां बड़े पैमाने पर सैन्य निर्माण जारी है। सिवाच मानते हैं कि चीन इन सभी मुद्दों पर बातचीत करने से हिचक रहा है, जबकि भारत इन मुद्दों को हल करने समेत बाकी के टकराव वाले सभी स्थानों पर जल्द से जल्द सेना को हटाने पर जोर दे रहा है। भारत इस मुद्दे पर एक सार्थक बातचीत की उम्मीद कर रहा है।

चीन अपनी सेना हटाए

सिवाच बताते हैं कि चीन ने हॉट स्प्रिंग और देपसांग अभी तक खाली नहीं किया है, जबकि हमने कैलाश रेंज खाली कर दिया है। कैलाश रेंज हमारा ट्रंप कार्ड था और यहां पर भारतीय सैनिकों के होने से देश को चीन पर बढ़त मिल रही थी। जब तक वे देपसांग नहीं छोड़ते तब तक हमें भी कैलाश रेंज नहीं छोड़ना चाहिए था। उनके मुताबिक अब भारत को हॉट स्प्रिंग और देपसांग और डेमचोक को खाली करने पर चीन के साथ सार्थक बातचीत करनी चाहिए।

उनका मानना है कि चीन हॉट स्प्रिंग छोड़ने पर राजी हो सकता है लेकिन देपसांग को लेकर आशंका बनी हुई है क्योंकि इससे उसे ‘स्ट्रेटजिक डेप्थ’ मिलती है। लेकिन इस इलाके का हमारे लिए भी कूटनीतिक महत्व है। हम चाहते हैं कि जहां-जहां चीन की अभी सेना तैनात है, वहां से सैनिक हटा लिए जाएं।

 

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