नई दिल्ली : तीन दिन की फ्रांस यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले दिन सोमवार को अपने  फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां यवेस ले ड्रियन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन-रूस के बीच छिड़े संघर्ष पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। इससे पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दोनों देशों को कूटनीतिक रूप से इस विवाद को सुलझाने की पेशकश की थी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुलाकात के बारे में ट्विटर पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि द्विपक्षीय रिश्तों, वैश्विक साझेदारी व हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। दरअसल, फ्रांस और भारत प्रमुख रणनीतिक साझेदार हैं। वहीं फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एकमात्र स्थायी सदस्य भी है। ऐसे में एस. जयशंकर की यह विदेश यात्रा काफी महत्वपूर्ण है।

यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय मंच पर करेंगे शिरकत

भारत-प्रशांत में सहयोग के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय मंच पर शिरकत करेंगे। इस दौरान वे फ्रांसीसी सशस्त्र बल मंत्री फ्लोरेंस पार्ली के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। खबरों के मुताबिक, विदेश मंत्री अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी मुलाकात कर सकते हैं।

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में उठाया था चीन का मुद्दा

जर्मनी में हुए म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन से साथ सीमा पर विवाद का मुद्दा उठाया था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों की स्थिति सीमा पर हालात से ही तय होगी। शनिवार को उन्हाेंने कहा था कि बीजिंग की ओर से सीमा पर सैन्य बलों को न तैनात करने के समझौते का उल्लंघन करने के बाद भारत और चीन के संबंध इस समय बहुत कठिन दौर में हैं।

 

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