नयी दिल्ली, एजेंसी। जीनोम सीक्वेंसिंग संघ ‘इनसाकोग’ ने कहा है कि भारत में अब तक सार्स-सीओवी-2 के दो नये स्वरूप – एमयू और सी.1.2 नहीं दिखे हैं और कहा कि डेल्टा स्वरूप और उसके दो उप-प्रकार देश में चिंता के मुख्य स्वरूप बने हुए हैं।

संघ ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के पॉजिटिव नमूनों की सीक्वेंसिंग पर मौजूदा सिफारिशों को और अधिक मजबूती से लागू करने का आह्वान किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बी.1.621 (बी.1.621.1) को 30 अगस्त को दिलचस्पी वाले स्वरूप (वीओआई) में शामिल किया और इसे “एमयू” नाम दिया। इसने सी.1.2 को भी नये वीओआई के तौर पर शामिल किया है।

इनसाकोग ने कहा कि सी.1.2 दक्षिण अफ्रीका में वर्णित सी.1 स्वरूप का उप-प्रकार है लेकिन यह वैश्विक तौर पर नहीं फैला है।

संघ ने 10 दिसंबर को अपने बुलेटिन में कहा, “न तो एमयू और न ही सी.1.2 अब तक भारत में दिखा है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के पॉजिटिव नमूनों की सीक्वेंसिंग पर मौजूदा सिफारिशों को और अधिक मजबूती से लागू किया जा सकता है। आगे के डेटा की निगरानी और मूल्यांकन इस समय पर्याप्त प्रतीत होता है।”

इसने कहा, “डेल्टा और डेल्टा उप-प्रकार भारत में चिंता के स्वरूप बने हुए हैं।”

डेल्टा स्वरूप के कारण कई देशों में संक्रमण फैल रहा है। भारत में, इसके कारण घातक दूसरी लहर आई। इनसाकोग ने कहा कि एमयू में उत्परिवर्तन हैं जो संभावित प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता के संकेत देते हैं।

डब्ल्यूएचओ के बुलेटिन के मुताबिक एमयू स्वरूप की वैश्विक मौजूदगी घट रही है और फिलहाल 0.1 प्रतिशत से नीचे है।

 

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