नयी दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि दिल्ली सरकार गरीब लोगों खासकर निराश्रित महिलाओं और दिव्यांग बच्चों के लिए राशन उपलब्ध कराने की अपनी नीति को तेजी से अंतिम रूप देगी “ताकि वैश्विक महामारी के दौरान वे भोजन के अभाव में भूखे नहीं रहें।”
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने यह टिप्पणी दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संतोष के त्रिपाठी के कथन पर की जिन्होंने कहा कि गरीबों को राशन एवं भोजन उपलब्ध कराने की सरकार की नीति पर काम जारी है और उसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
दिल्ली सरकार की ओर से यह दलील अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर दी गई कि, “आप क्या चाहते हैं कि वे (गरीब लोग) क्या करें? खाने के लिए भीख मांगे?’’
त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि महामारी के दौरान गरीबों को राशन उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय राजधानी भर में करीब 240 केंद्र खोले जाएंगे। राशन बिना किसी पहचान पत्र के उपलब्ध कराया जाएगा।
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई जुलाई के लिए निर्धारित करते हुए कहा, ‘ऐसी उम्मीद है कि प्रतिवादी (दिल्ली सरकार) नीति को अंतिम रूप देने के लिए तेजी से कदम उठाएगा ताकि यहां याचिकाकर्ता जैसे गरीब लोग, बेसाहारा महिलाएं एवं दिव्यांग बच्चे भोजन के अभाव में भूखे न रहें।”
अदालत सात परिवारों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने कोविड-19 की वजह से आजीविका अर्जित करने वाले सदस्य खो दिए या महामारी की वजह से उनकी नौकरी चली गई और उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं बचा और जो बिना राशन कार्ड के राशन सुविधाएं दिए जाने का अनुरोध कर रहे हैं।
अदालत ने याचिका पर दिल्ली सरकार और उपभोक्ता मामला मंत्रालय को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।