नयी दिल्ली, एजेंसी। कोविड-19 महामारी से निपटने के लक्ष्य के साथ, 2021 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का मुख्य कार्य क्षेत्र अनुसंधानकर्ताओं, अकादमिक एवं अनुसंधान संस्थानों और स्टार्टअप तथा उद्योग की भागीदारी वाली समूची नवोन्मेष श्रृंखला को बढ़ावा देना रहा।

मंत्रालय की नेशनल सुपरमॉडल कमेटी ने एक ओर जहां समय-समय पर महामारी के उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाया, वहीं दूसरी ओर नवोन्मेष विकास एवं दोहन के लिए राष्ट्रीय पहल (नेशनल इनिशि्एटिव फॉर डेवलपिंग एंड हारनेसिंग इन्नोवेशंस) ने अपने नेटवर्क और स्टार्टअप के जरिए संकट का हल करने की कोशिश की।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले इन संस्थानों ने महामारी का मुकाबला करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2021 के दौरान भी अनुसंधानकताओं, अकादमिक एवं अनुसंधान संस्थानों, स्टार्टअप और उद्योग की भागीदारी वाली भारत की समूची नवोन्मेष श्रृंखला पर मुख्य रूप ध्यान दिया गया।

देश में कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन के मामले सामने आने पर, इंडियन सार्स-कोवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) ने विस्फोटक तरीके से संक्रमण बढ़ाने वाले कार्यक्रमों, संक्रमण के प्रसार को समझने और संक्रमण की चेन (कड़ी) को तोड़ने में मदद प्राप्त करने के लिए जनस्वास्थ्य ढांचा को मजबूत करने को लेकर 80,000 से अधिक जीनोम सीक्वेंस का अध्ययन किया।

इस साल, मंत्रालय ने नयी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा नवोन्मेष नीति का मसौदा भी जारी किया। इस नीति का लक्ष्य व्यक्ति एवं संगठन की ओर से अनुसंधान एवं नवोन्मेष को बढ़ावा देने पाला परिवेश बनाने के लिए संक्षिप्त अवधि की, मध्यम अवधि की तथा दीर्घकालीन ‘मिशन आधारित’ परियोजनाओं के जरिए महत्वपूर्ण बदलाव लाना है।

विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़े, इस पर जोर देने के लिए विज्ञान ज्योति कार्यक्रम का दूसरा चरण अंतरराष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस के अवसर पर आरंभ किया गया। कार्यक्रम का लक्ष्य बालिकाओं को विज्ञान में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।

मंत्रालय ने राष्ट्रीय नवाचार पोर्टल (एनआईपी) की भी शुरूआत की, जिन पर वर्तमान में देश के आम आदमी के करीब 1.15 लाख नवोन्मेष उपलब्ध हैं जो इंजीनियरिंग, कृषि, पशु चिकित्सा और मानव स्वास्थ्य के क्षेत्रों से संबद्ध हैं।

महामारी की दूसरी लहर के दौरान टीका उत्पादन बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने मिशन कोविड सुरक्षा के तहत अनुदान के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों की सहायता की।

मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थानों एवं मंत्रालय से सहयोग प्राप्त परियोजनाओं द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) संचालित संपर्क रहित स्वास्थ्य निगरानी, कोविड-19 की जांच के लिए आरटी-पीसीआर किट, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर पद्धति, वायरस रोधी रसायन लेपित 3डी-प्रिंटेड मास्क और उच्च शुद्धता वाले ऑक्सीजन सकेंद्रक विकसित किये गये।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल के बाद, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का प्रभार संभाला।

अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय का लक्ष्य साझा, पेशेवर तरीके से प्रबंधित और मजबूत सूचना एवं प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचा, अकादमिक क्षेत्र की पहुंच के दायरे वाला, स्टार्टअप, विर्निर्माण, उद्योग तथा अनुंसधान एवं विकास ढांचों का निर्माण करना है ताकि महामारी जैसी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तैयारी की जा सके और देश के नवोन्मेष एवं विज्ञान क्षेत्र को बढ़ावा मिल सके।

 

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