लखनऊ : यूपी की भाजपा सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को सपा में शामिल होने पर बने सस्पेंस को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहा हूं।
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत होने के सवाल पर कहा कि भाजपा के किसी भी छोटे या बड़े नेता ने उन्हें फोन नहीं किया। अगर वो लोग पहले से ही सावधान होते और जनता के मुद्दों की बात की होती तो भाजपा की स्थिति आज ऐसी नहीं होगी।
मौर्य के इस्तीफा देने के बाद प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें ट्वीट कर फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी थी। जिस पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि केशव प्रसाद मौर्य को खुद की दुर्गति पर तरस आना चाहिए। पहले वह अपने को सम्मानित स्थिति में लाएं। केशव प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री है, उनके सलाहकार नहीं है।
‘पूरे परिवार को लाभ पहुंचाने कर रहे थे प्रयास’
स्वामी के इस्तीफे पर यूपी चुनाव में भाजपा की संभावना पर कैबिनेट मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि कमल तो कमल है, उसे खिलना ही होता है। स्वामी प्रसाद के इस्तीफे पर कटाक्ष करते हुए सिद्धार्थनाथ ने मंगलवार को ट्वीट किया कि लोग भूल जाते हैं कि 2017 व 2019 में एक बड़ी पार्टी और एक बड़े नेता ने भी समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया था, लेकिन कमल खिला। स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी कई पार्टियों की यात्रा कर चुके हैं।
बसपा में संगठन व सरकार दोनों में बेहद महत्व मिलने के बाद भी 2017 में सरकार बनने की संभावना देखकर भाजपा में आ गए थे। वह अपने परिजनों को राजनीति में स्थापित करने के लिए लगातार जोर लगा रहे थे। सरकार में खुद मंत्री रहने के बावजूद बेटी संघमित्रा मौर्य को सांसद का चुनाव लड़वाया। अभी वह बेटे को ऊंचाहार से टिकट दिलवाना चाहते थे। पूरे परिवार को लाभ पहुंचाने के प्रयास के कारण इनका काफी विरोध भी हो रहा था।

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