नई दिल्ली, एजेंसी : कोरोना पर जितना शोध होता जा रहा है यह वायरस म्यूटेशन के साथ खुद को उतना ही ज्यादा रहस्यमयी बना रहा है। अभी तक कहा जा रहा था कि कोरोना से बचने के लिए लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखना है, लेकिन अब सामने आई एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अंटार्कटिका में 25 शोधकर्ताओं में लगभग दो तिहाई वैज्ञानिकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। ऐसा तब है कि जब ये वैज्ञानिक पूरी तरह से वैक्सीनेटेड थे और वह घनी आबादी से कई किलोमीटर दूर भी रह रहे थे।

उड़ान भरने से पहले कराया था टेस्ट

अंटार्कटिका से रवाना होने से पहले इन विशेषज्ञों ने बेल्जियम में पीसीआर टेस्ट काराया था। इसके बाद उन्हें 10 दिन के क्वारंटाइन किया गया और फिर से एक टेस्ट किया गया। इन कई परीक्षणों के बाद भी अंटार्कटिका पहुंचने के सात दिन बाद एक शोधकर्ता की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद अन्य दो व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण हो गया। इन तीनों के स्टेशन से अलग होने के बाद भी यह वायरस फैलता रहा।

हो सकता है ओमिक्रॉन

डॉक्टरों को चिंता इस बात की है कि अंटार्कटिका में शोधकर्ताओं में मिला यह वायरस ओमिक्रॉन हो सकता है। इसके परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों के नमूनो को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है। फिलहाल स्टेशन को पूरी तरह से सील कर दिया गया है और किसी को वहां जाने के अनुमति नहीं दी जा रही है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *