नयी दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर नौ मार्च को सुनवाई के लिए बुधवार को राजी हो गया।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को स्वामी ने बताया कि याचिका पर पिछले कई महीनों से सुनवाई नहीं हुई और इसे कार्य सूची से हटाया नहीं गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर नौ मार्च को सुनवाई करेंगे।’’

स्वामी ने पिछले साल आठ मार्च को अपनी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया था। इससे पहले 23 जनवरी 2020 को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह स्वामी की याचिका पर तीन महीने बाद विचार करेगा।

राम सेतु को एडम्स ब्रिज के तौर पर भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिणपूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है। पंबन द्वीप को रामेश्वरम द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।

भाजपा नेता ने कहा कि वह मुकदमे का पहला चरण जीत चुके हैं जिसमें केंद्र ने राम सेतु के अस्तित्व को माना है। उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने 2017 में उनकी मांग पर विचार करने के लिए एक बैठक बुलायी थी लेकिन इसके बाद कुछ भी नहीं हुआ।

भाजपा नेता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली सरकारकी की गयी विवादित सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का मुद्दा उठाया था। यह मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचा, जहां 2007 को राम सेतु पर परियोजना के लिए काम पर रोक लगा दी गयी।

शीर्ष न्यायालय ने 13 नवंबर 2019 को केंद्र को राम सेतु पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए छह सप्ताह का वक्त दिया था। उसने कहा था कि अगर केंद्र जवाब नहीं देता है तो स्वामी को अदालत का रुख करने की छूट है।

 

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