नई दिल्ली, एजेंसी : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और चीन ने रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रारूप प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की गई। इसमें रूस से कहा गया है कि वह बिना शर्त, तत्काल व पूर्ण रूप से यूक्रेन छोड़े। भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन बयान जारी कर यूक्रेन में जारी हिंसा पर अफसोस जताते हुए इसे रोकने का आह्वान किया।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव पर शुक्रवार को, भारतीय समयानुसार शनिवार तड़के मतदान हुआ। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का 11 देशों ने समर्थन किया जबकि भारत, चीन व यूएई मतदान के दौरान गैर हाजिर रहे, जबकि रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर प्रस्ताव को विफल कर दिया। आइये जानते हैं संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अपने बयान में क्या कहा :
भारत के बयान की बड़ी बातें
– भारत का मानना है कि बातचीत ही किसी समाधान तक पहुंचने और विवादों को सुलझाने का एकमात्र रास्ता है।
– 24 फरवरी को रूसी हमले के बाद यूक्रेन में हुई तबाही से भारत चिंतित है। भारत को अफसोस है कि कूटनीति का रास्ता बहुत जल्द छोड़ दिया गया।
– तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं।
– यह खेद की बात है कि कूटनीति से संकट के समाधान का रास्ता जल्दी छोड़ दिया गया। हमें इस पर वापस लौटना चाहिए।
– भारत ने कहा कि सभी सदस्य देशों हिंसा और शत्रुता तुरंत खत्म करने के प्रयास करें।
– इंसानों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता।
– युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय समुदाय और छात्रों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए तिरुमूर्ति ने रूस व यूक्रेन से कूटनीति रास्ते पर लौटने की अपील की।
चीन बोला- पूर्व व पश्चिम का सेतु बने यूक्रेन
चीन ने भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से दूरी कर ली थी। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि एक देश की सुरक्षा दूसरे देशों की सुरक्षा को कम करने की कीमत पर नहीं आ सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। यूक्रेन को पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु बनना चाहिए।