नई दिल्ली ; लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज जांच करने वाली एसआईटी में फेरबदल किए। इसके अलावा जांच की निगरानी के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन की नियुक्ति की। कोर्ट ने कहा कि मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के मकसद से यह जरूरी कदम उठाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार को एक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराने का निर्देश दिया था। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने जस्टिस राकेश कुमार जैन, रंजीत सिंह के नाम सुझाए थे। शीर्ष कोर्ट ने राज्य के कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी एसआईटी में शामिल करने को कहा था। आज इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एसआईटी में तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को जगह दी। इनमें एसबी शिरोडकर, दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान का नाम शामिल है।
पूर्व हाईकोर्ट जज की निगरानी में जांच कराने के लिए यूपी सरकार भी तैयार
पिछली सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार मामले की जांच की निगरानी के लिए राज्य के बाहर एक पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए सहमत हो गई थी। राज्य सरकार की ओर से हरीश साल्वे ने कोर्ट में कहा कि किसी भी हाईकोर्ट के जज, जज ही होते हैं। ऐसे में किसी भी हाईकोर्ट के पूर्व जज को नियुक्त किया जा सकता है। इसपर शीर्ष कोर्ट ने सहमति जताई थी।
गत आठ नवंबर को शीर्ष अदालत ने मामले की जांच से निपटने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई थी। इससे पहले अदालत ने तीन अक्टूबर की घटना के संबंध में दर्ज की गई अलग-अलग प्राथमिकी में गवाहों के मिश्रण की आलोचना करते हुए कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि मामले में एक विशेष आरोपी की रक्षा के लिए सबूत एकत्र किए जा रहे है। इशारा अप्रत्यक्ष रूप से मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की ओर था, जो केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे हैं।
क्या है लखीमपुर खीरी हिंसा मामला?
लखीमपुर खीरी में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक कार्यक्रम का विरोध करने के लिए एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों के एक समूह के ऊपर केंद्रीय मंत्री के बेटे को कथित रूप से ले जा रही एक कार के कुचल जाने से चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।