देश में कोरोना की दूसरी लहर से तबाही मची हुई है। हाल ही में वायरस से संक्रमित होने वालों का ताजा आंकड़ा 3 लाख को पार कर गया है। अब चौंकाने वाली बात ये है कि लक्षण होने के बावजूद भी वायरस के लिए कराए गए टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आने लगी है।

ऐसे में लोग और ज्यादा कंफ्यूज्ड हो गए हैं, कि आखिर वे कोरोना संक्रमित हैं या नहीं। इतना ही नहीं, कई लोग तो इस तरह के मामलों को देखते हुए टेस्ट कराने से कतराने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, देर से होने वाला निदान और गलत रिपोर्ट कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं गलत टेस्ट कई लोगों की जान को रिस्क में डाल सकता है।

RT PCR टेस्ट पर कितना करें यकीन

कोविड-19 के संक्रमण का पता लगने के लिए किया जाने वाला RT PCR टेस्ट को सही माना जाता रहा है। फिर ऐसा क्यों हो रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो RT PCR टेस्ट बहुत संवेदनशील और सही है। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि कोई भी टेस्ट सौ प्रतिशत सटीक नहीं होता। लक्षणों के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आने के बहुत से कारण हो सकते हैं।

रिसर्च के अनुसार, RT PCR टेस्ट शरीर में वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए बहुत अच्छे से काम करता है। लेकिन टेस्ट की सटीकता बहुत सारे कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। डॉक्टरों ने यह भी बताया है कि इस टेस्ट की सेंसिटिविटी 60 प्रतिशत है। अगर टेस्ट सही तरह से किया जाए , तो रिजल्ट सही आएगा। लेकिन टेस्ट करने में जल्दबाजी या देरी से रिपोर्ट के निगेटिव आने की संभावना बढ़ जाती है।

​तो क्यों गलत आ रही है रिपोर्ट-

इस तरह के मामलों के बाद सबके मन में सवाल है कि आखिर गलत रिपोर्ट आने की वजह क्या है। विशेषज्ञों ने इसके दो कारक बताए हैं

1- व्यक्ति से होने वाली गलती- इसका एक कारण ह्यूमन एरर है। दूसरी लहर के दौरान मामले बढने के बाद टेस्ट कराने वालों की संख्या में तेजी आई है। इससे टेस्ट करने वालों पर दबाव बढ़ रहा है। स्वभाविक रूप से दबाव के चलते गलती हो सकती है।

2 – स्वाब का सैंपल- आरटीपीसीआर टेटट काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि स्वाब का सैंपल कैसे और किस समय लिया गया है। इसके अलावा अगर टेस्ट सही तरह से संग्रहित न किया जाए, तो भी रिजल्ट गलत आने की संभावना बढ़ जाती है।

​नए वैरिएंट का टेस्ट में पता लगाना मुश्किल-

वायरस के नए वैरिएंट्स ने दुनियाभर में लोगों का बुरा हाल कर रखा है। यह इतने खतरनाक हैं कि टेस्ट कराने पर भी आसानी से इनका पता नहीं लग पा रहा है। इसलिए लक्षण होने पर भी व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव आने के चांसेस बढ़ गए हैं। इसी वजह से अब डॉक्टर सीटी स्कैन पर भरोसा करने लगे हैं।

​क्या शरीर में कम वायरस होने से निगेटिव आती है रिपोर्ट

यदि शरीर में पर्याप्त वायरस के कण मौजूद नहीं है, तो हो सकता है कि लक्षण दिखने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आए। कुछ लोग थोड़े से लक्षण दिखने पर ही टेस्ट कराने की गलती कर बैठेते हैं, बहुत जल्दी टेस्ट कराना भी रिपोर्ट के निगेटिव आने का एक कारण हो सकता है।

डॉक्टर्स की सलाह है कि लक्षण दिखने के 2-7 दिनों के बीच ही टेस्ट कराना चाहिए। सटीक परिणामों के लिए सबसे अच्छा है कि सेल्फ आइसोलेट हो जाएं।

​रिपोर्ट निगेटिव है, लेकिन लक्षण दिखें, तो क्या करें

अपनी शंका को दूर करने के लिए री- टेस्टिंग सबसे अच्छा उपाय है। पहला टेस्ट कराने के 3-4 दिन बाद ही दोबोरा टेस्ट के लिए जाएं, तो रिजल्ट सही आएगा। लेकिन जब तक सबकुछ साफ न हो जाए, तब तक मरीज को आइसोलेशन में रहना चाहिए।

लक्षणों की लगातार जांच करते रहें और बदलावों को नोटिस करना शुरू कर दें। जरूरत लगने पर डॉक्टर सीटी स्कैन कराने के लिए कह सकते हैं। यह शरीर में वायरस के पता लगाने का बेहतर तरीका है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही सही इलाज शुरू किया जा सकता है।

​कब करनी चाहिए चिंता

कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान लोग जरा सा सर्दी-जुकाम या बुखार आने पर अस्पताल भाग रहे हैं। ऐसे हालातों में स्वस्थ व्यक्ति में भी फेफड़ो का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। मरीज ऑक्सीजन की कमी का अनुभव कर रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें, तो हर व्यक्ति को ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर हमेशा अपने पास रखना ही चाहिए। जरा सा भी सर्दी-जुकाम या बुखार खांसी लगे, तो लक्षणों की जांच जरूर करें। यदि सांस लेने में दिक्कत हो तो ऑक्सीजन लेवल तुरंत चेक करना चाहिए। यदि ऑक्सीजन का स्तर 91 से नीचे हो, तो यह चिंता की बात है। देरी न करते हुए अस्पताल में भर्ती हो जाएं।

 

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